नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट ने सोमवार (2 सितंबर) को किसानों के जीवन को बेहतर बनाने और उनकी आय बढ़ाने के लिए कुल 13,966 करोड़ रुपये की सात प्रमुख योजनाओं को मंजूरी दी। इन्हीं सात योजनाओं में कृषि क्षेत्र में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के निर्माण के लिए 2,817 करोड़ रुपये का ‘डिजिटल कृषि मिशन’ भी शामिल है। क्या हैं ये सभी योजनाएं और इसमें ‘डिजिटल कृषि मिशन’ का क्या मतलब है? आखिर ये डिजिटल कृषि मिशन क्या है और इसका किसानों और कृषि क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा? आईए समझते हैं। साथ ही अन्य छह योजनाएं क्या हैं, उनके बारे में भी जानेंगे।
डिजिटल कृषि मिशन क्या है?
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर आधारित ‘डिजिटल कृषि मिशन’ किसानों के जीवन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करेगा। इसमें मृदा प्रोफाइल, डिजिटल फसल अनुमान, डिजिटल उपज मॉडलिंग, फसल ऋण के लिए कनेक्ट, एआई और बिग डेटा जैसी आधुनिक तकनीकों, खरीदारों से जुड़ने और मोबाइल फोन के जरिए कृषि से जुड़ी नई जानकारी लाने का प्रावधान है।
अब सवाल है कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर क्या है? दरअसल, कृषि क्षेत्र में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) का निर्माण सरकार के अन्य क्षेत्रों में किए गए ई-गवर्नेंस पहल की तरह है, जिसके परिणामस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में आधार आईडी, डिजीलॉकर डॉक्यूमेंट्स फोल्डर, ई-साइन इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर सर्विस, यूपीआई (UPI) और इलेक्ट्रॉनिक हेल्ड रिकॉर्ड जैसे सुविधाओं का विकास हुआ है।
डिजिटल कृषि मिशन के तहत डीपीआई के तीन प्रमुख स्तंभों की परिकल्पना की गई है। इसमें एग्रीस्टैक (AgriStack), कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली (Krishi Decision Support System, डीएसएस), और मृदा प्रोफाइल मानचित्र (Soil Profile Maps) शामिल हैं। ये तरीके एक तरह से किसानों को कृषि से जुड़े समाधान और विभिन्न सेवाओं तक पहुंचने और उनका लाभ उठाने में मदद करेंगे।
मिशन के लिए ऐसे होगी फंडिंग
मिशन के लिए 2,817 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है। इसमें से 1,940 करोड़ रुपये केंद्र द्वारा दिए जाएंगे। बाकी की राशि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दी जाएगी। इस मिशन की शुरुआत नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों के लिए कृषि मंत्रालय की ओर से बनाई गई योजना का हिस्सा है। यह मिशन अगले दो वर्षों में (2025-26 तक) पूरे देश में शुरू कर दिया जाएगा।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार एक सूत्र ने बताया कि मिशन को वित्तीय वर्ष 2021-22 में लॉन्च करने की योजना बनाई गई थी। हालांकि कोविड-19 महामारी के प्रकोप ने इसे बाधित कर दिया। सरकार ने बाद में 2023-24 और 2024-25 दोनों के केंद्रीय बजट में कृषि के लिए डीपीआई के निर्माण की घोषणा की थी।
डिजिटल कृषि मिशन की तीन स्तंभ
सूत्रों के अनुसार कृषि मंत्रालय डीपीआई के निर्माण और कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों के साथ एमओयू की प्रक्रिया में है। एक सूत्र ने कहा अब तक 19 राज्य इस योजना में शामिल हो चुके हैं। सूत्र ने कहा मिशन के तहत तीन डीपीआई में से एक एग्रीस्टैक को लागू करने के लिए बुनियादी आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर को पायलट आधार पर विकसित और इसका परीक्षण किया गया है।
1. एग्रीस्टैक में क्या होगा: इसमें मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र रजिस्ट्रियां या डेटाबेस बनाना शामिल हैं। किसान रजिस्ट्री, भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र, और बोई गई फसल के आंकड़े राज्य सरकारों द्वारा रखे जाएंगे।
किसानों की रजिस्ट्री: किसानों को आधार कार्ड की तरह एक डिजिटल पहचान (किसान आईडी) दी जाएगी। इसमें भूमि के रिकॉर्ड, पशुधन, बोई गई फसलों, जनसांख्यिकीय विवरण, परिवार के विवरण, योजनाओं और प्राप्त लाभों आदि की जानकारी जुड़ी होगी। किसान आईडी के निर्माण के लिए पायलट परियोजनाएं छह जिलों – फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश), गांधीनगर (गुजरात), बीड (महाराष्ट्र), यमुनानगर (हरियाणा), फतेहगढ़ साहिब (पंजाब), और विरुधुनगर (तमिलनाडु) में शुरू भी की गई हैं।
सूत्रों के अनुसार सरकार का लक्ष्य 11 करोड़ किसानों के लिए डिजिटल पहचान बनाना है। इनमें से 6 करोड़ को चालू (2024-25) वित्तीय वर्ष में, अन्य 3 करोड़ को 2025-26 में और शेष 2 करोड़ किसानों को 2026-27 में कवर किया जाएगा।
बोई गई फसल की रजिस्ट्री: बोई गई फसल की रजिस्ट्री किसानों द्वारा बोई गई फसलों का विवरण प्रदान करेगी। प्रत्येक मौसम में ये जानकारी डिजिटल फसल सर्वेक्षण (मोबाइल आधारित जमीनी सर्वेक्षण) के माध्यम से दर्ज की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार बोई गई फसल की रजिस्ट्री के लिए 2023-24 में 11 राज्यों में एक पायलट डिजिटल फसल सर्वेक्षण आयोजित भी किया गया था। सूत्रों ने कहा कि सरकार का लक्ष्य अगले दो वर्षों में देश भर में डिजिटल फसल सर्वेक्षण शुरू करना है, जिसमें मौजूदा (2024-25) वित्तीय वर्ष में 400 जिलों और वित्त वर्ष 2025-26 में शेष जिलों को शामिल किया जाएगा।
2. कृषि डीएसएस: कृषि निर्णय समर्थन/सहयोग प्रणाली फसलों, मिट्टी, मौसम और जल संसाधनों आदि पर रिमोट सेंसिंग-आधारित जानकारी को इकट्ठा करने के लिए एक व्यापक प्रणाली बनाएगी। यह जानकारी किसानों द्वारा बोई गई फसल के पैटर्न की पहचान करने, सूखे/बाढ़ की निगरानी सहित किसानों की उपज के प्रौद्योगिकी आधारित मूल्यांकन और फसल बीमा दावों के निपटारे में मदद करेगी।
3. मृदा प्रोफाइल मानचित्र: मिशन के तहत लगभग 142 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि का विस्तृत मृदा प्रोफाइल मानचित्र तैयार करने की परिकल्पना की गई है। सूत्रों ने कहा कि लगभग 29 मिलियन हेक्टेयर की विस्तृत मृदा प्रोफाइल सूची पहले ही पूरी हो चुकी है। सरकार का मानना है कि बेहतर डेटा सरकारी एजेंसियों को पेपरलेस न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) आधारित खरीद, फसल बीमा और क्रेडिट कार्ड से जुड़े फसल ऋण जैसी योजनाओं और सेवाओं को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने सहित उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए सिस्टम विकसित करने में मदद करेगा।
इन छह योजनाओं को भी मंजूरी
डिजिटल कृषि योजना के बाद दूसरी योजना का नाम ‘खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए फसल विज्ञान’ है। इसका कुल खर्च 3,979 करोड़ रुपये है। यह पहल किसानों को जलवायु के हिसाब से तैयार करने में मदद करेगी और 2047 तक खाद्य सुरक्षा प्रदान करेगी।
इसके अलावा 2,291 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ ‘कृषि शिक्षा, प्रबंधन और सामाजिक विज्ञान को मजबूत बनाना’ योजना कृषि छात्रों और शोधकर्ताओं को वर्तमान चुनौतियों के लिए तैयार करेगी।
साथ ही 1,702 करोड़ रुपये के खर्च वाली ‘सतत पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन’ योजना का लक्ष्य पशुधन और डेयरी से किसानों की आय बढ़ाना है। इसमें पशु स्वास्थ्य प्रबंधन और पशु चिकित्सा शिक्षा, डेयरी उत्पादन और प्रौद्योगिकी विकास, पशु आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन, उत्पादन और सुधार और पशु पोषण शामिल है।
वहीं, 860 करोड़ रुपये के खर्च वाली पांचवीं योजना, ‘बागवानी का सतत विकास’ का उद्देश्य बागवानी पौधों से किसानों की आय बढ़ाना है। कैबिनेट ने ‘कृषि विज्ञान केंद्र का सुदृढ़ीकरण’ योजना को भी मंजूरी दी, जिसका खर्च 1,202 करोड़ रुपये है। 1115 करोड़ रुपये के ‘प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन’ योजना को भी मंजूरी दी गई।
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