'टैक्स चोरी पकड़ने के लिए डिजीयात्रा के डाटा का इस्तेमाल नहीं', सरकार की सफाई (फोटो- IANS)
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नई दिल्ली: मीडिया और सोशल मीडिया पर यह खबरें सामने आने के बाद कि डिजी यात्रा ऐप का इस्तेमाल कर चोरी का पता लगाने के लिए किया जा सकता है, केंद्र ने इन दावों को खारिज करते हुए स्पष्ट जवाब दिया है।
आईटी विभाग और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी इन दावों को सिरे से खारिज किया है। 30 दिसंबर को आईटी विभाग ने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए इस मामले पर सफाई दी।
विभाग ने कहा है कि इस तरह के उद्देश्य के लिए ऐप के इस्तेमाल की "अभी तक" कोई योजना नहीं है। हालांकि, बयान में "अभी तक" शब्द के इस्तेमाल ने भविष्य में ऐसी योजनाओं की संभावना को लेकर अटकलों को जन्म दिया, जिससे लोगों की चिंताएं और बढ़ गईं।
गौरतलब है कि आईटी विभाग का यह बयान डेटा गोपनीयता और डिजी यात्रा प्लेटफॉर्म द्वारा एकत्र की गई जानकारी के संभावित दुरुपयोग को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आया है।
डिजी यात्रा हवाई यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए शुरू की गई एक सरकारी पहल है, जो यात्रियों की पहचान और हवाई अड्डे पर सहज अनुभव के लिए चेहरे की पहचान तकनीक (एफआरटी) का उपयोग करती है।
हालांकि, इसकी उपयोगिता के बावजूद, डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर लोगों और विशेषज्ञों ने कई सवाल उठाए हैं।
डिजी यात्रा ऐप को लेकर मीडिया में क्या खबर चली थी
अंग्रेजी अखबार न्यू इंडियन एक्सप्रेस (टीएनआईई) ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया कि आयकर विभाग डिजी यात्रा के डेटा का 'इस्तेमाल' कर रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस डेटा का इस्तेमाल घोषित आय में विसंगतियों का पता लगाने के लिए किया जा रहा। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि आयकर विभाग इस डेटा के आधार पर 2025 से नोटिस जारी करने की योजना बना रहा है।
दावा किया गया है कि विभाग उन लोगों पर फोकस करेगा जो आईटी रिटर्न दाखिल करने में विफल रहते हैं या अपनी आय कम बताते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों यात्रियों के डेटा की जांच की जा रही है।
सरकार का खंडन
नागरिक उड्डयन मंत्रालय और आईटी विभाग ने इन आरोपों का दृढ़ता से खंडन किया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सफाई देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "नागरिक उड्डयन मंत्रालय स्पष्ट करता है कि डिजी यात्रा से संबंधित हालिया मीडिया रिपोर्ट निराधार और गलत दावों पर आधारित है। भारतीय टैक्स अथॉरिटीज के साथ डिजीयात्रा के यात्रियों की जानकारी को साझा नहीं किया जाता है। डिजीयात्रा ऐप सेल्फ सॉवरेन आइडेंटिटी मॉडल पर काम करता है, जिसके तहत ट्रेवल से जुड़ी जानकारियां और निजी जानकारियां सीधे यूजर्स के डिवाइस पर स्टोर होती हैं, न कि किसी सेंट्रल रिपॉजिटरी के पास।"
मंत्रालय ने पोस्ट में आगे लिखा, "अगर कोई यूजर अपने मोबाइल से डिजीयात्रा ऐप को अनइंस्टॉल कर देता है तो उसका सारा डेटा खुद ही डिलीट हो जाएगा। इतना ही नहीं, एयरपोर्ट सिस्टम खुद ही फ्लाइट के उड़ान भरने के 24 घंटे बाद यात्रियों का सारा डेटा हटा देता है। यहां यह भी ध्यान देने की बात है कि डिजीयात्रा ऐप सिर्फ घरेलू यात्रियों के लिए डिजाइन किया गया है और यह अंतर्राष्ट्रीय ट्रैवलर्स पर लागू नहीं होता है।"
इससे पहले आयकर विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "कुछ न्यूज आर्टिकल में कहा गया है कि टैक्स चोरों पर शिकंजा कसने के लिए डिजीयात्रा ऐप के डाटा का इस्तेमाल किया जाएगा। इस संदर्भ में यह स्पष्ट किया जाता है कि अभी तक इनकम टैक्स विभाग की तरफ से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।"
डिजी यात्रा फाउंडेशन की प्रतिक्रिया
इस पूरे विवाद पर डिजी यात्रा फाउंडेशन के सीईओ सुरेश खड़कभावी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी और इन दावों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि यह ऐप यात्रियों की जानकारियां किसी भी केंद्रीय भंडार में जमा नहीं करता, जिससे इसके डेटा के दुरुपयोग या उल्लंघन की संभावना समाप्त हो जाती है।
खड़कभावी ने बताया कि डिजी यात्रा केवल घरेलू यात्रा के लिए बनाया गया है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के डेटा की जांच करने का आरोप गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि इस ऐप में कोई केंद्रीय डेटाबेस नहीं है, इसलिए कोई भी विभाग डेटा तक पहुंच नहीं सकता।
फाउंडेशन के सीईओ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डिजी यात्रा एक स्वैच्छिक सेवा है, जिस पर 2024 के अंत तक 90 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं ने भरोसा किया है।
क्या है डिजी यात्रा ऐप
डिजी यात्रा ऐप एक ऐसी ऐप है जो यात्रियों को संपर्क रहित यात्रा का अनुभव देती है। यात्रियों को ऐप पर केवल अपना आधार कार्ड, एक सेल्फी और बोर्डिंग पास अपलोड करना होता है। इसके बाद उनका डेटा एयरपोर्ट से शेयर किया जाता है, जिससे उन्हें एयरपोर्ट पर अतिरिक्त चेकप्वाइंट्स से नहीं गुजरना पड़ता।
डिजी यात्रा फाउंडेशन, जो 2019 में कंपनी अधिनियम की धारा 8 के तहत एक संयुक्त उद्यम के रूप में स्थापित हुआ था, ऐप की देखरेख करता है। इसके प्रमुख हितधारकों में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (26 प्रतिशत हिस्सेदारी) और पांच निजी हवाई अड्डे शामिल हैं: हैदराबाद, कोच्चि, बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली।
फाउंडेशन ने यह बताया कि सिस्टम को उपयोगकर्ता की गोपनीयता को प्राथमिकता देने और दुरुपयोग को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। इससे पहले, यात्रियों ने ऐप पर बायोमेट्रिक डेटा के दुरुपयोग को लेकर चिंता जताई थी।
हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि उपयोगकर्ताओं का डेटा एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट में होता है, जो किसी केंद्रीय स्थान पर नहीं, बल्कि उपयोगकर्ता के फोन पर स्टोर होता है। यदि ऐप अनइंस्टॉल किया जाता है, तो डेटा पूरी तरह से हटा दिया जाता है।