पूजा खेडकर Photograph: (आईएएनएस )
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की पूर्व ट्रेनी अधिकारी पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत दे दी। जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने पूजा को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है। खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी करने और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा दिव्यांगता श्रेणी के तहत आरक्षण का गलत लाभ उठाने का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत दी
जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने खेडकर को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'पूजा ने कौन सा बड़ा अपराध कर दिया है। वह कोई ड्रग माफिया या आतंकवादी नहीं है। उन पर हत्या (धारा 302) का आरोप नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा, 'आपके पास कोई सिस्टम या सॉफ्टवेयर होना चाहिए जिससे इस तरह की जांच समय पर हो। उसने सब कुछ खो दिया है, अब कहीं नौकरी नहीं मिलेगी। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, 'इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले ही जमानत देनी चाहिए थी।
दिल्ली पुलिस के वकील ने जमानत का विरोध किया। कहा कि पूजा जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं। उन्होंने 302 (हत्या) नहीं की है। वह एनडीपीएस (मादक पदार्थ निषेध से संबंधित कानून) अपराधी नहीं है। आपके पास कोई प्रणाली या सॉफ्टवेयर होना चाहिए। आप जांच पूरी करें। उन्होंने सब कुछ खो दिया है और उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिलेगी।'
पूजा खेडकर पर क्या आरोप?
दिल्ली पुलिस के वकील ने खेडकर को अग्रिम जमानत दिए जाने का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं और उनके खिलाफ आरोप गंभीर हैं। खेडकर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के लिए 2022 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी देने का आरोप है। उन्होंने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन किया है।
यूपीएससी ने खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई की, जिसमें फर्जी पहचान के जरिए सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए आपराधिक मामला दर्ज करना भी शामिल है। दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ विभिन्न अपराधों के लिए प्राथमिकी भी दर्ज की है।