मंगलुरुः धर्मस्थल मंदिर में कथित रूप से बीते दो दशकों से हो रहे हत्या, बलात्कार और दफनाने के आरोपों में नया मोड़ आया है। इन सनसनीखेज आरोपों को लगाने वाले 'मास्क मैन' (शिकायतकर्ता) को विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस के अनुसार, आरोपी की पहचान सीएन चिन्नैया के रूप में हुई है, जो पहले धर्मस्थल मंजुनाथ स्वामी मंदिर में सफाईकर्मी था। उसने जांच पैनल के सामने हमेशा मास्क पहनकर पेशी दी थी। एसआईटी ने बताया कि उसकी दी गई गवाही और दस्तावेजों में भारी विरोधाभास पाए गए, जिसके बाद उसे झूठी गवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया। अदालत ने उसे 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है।

क्या है मामला?

गिरफ्तारी से पहले एसआईटी ने उससे 15 घंटे से ज्यादा पूछताछ की। पूछताछ में चिन्नैया ने कबूल किया कि कुछ लोगों के दबाव में उसने ये आरोप लगाए और जांच को एक खास दिशा देने की कोशिश की।

11 जुलाई को उसने बयान दिया था कि उसे मजबूर किया गया था कि वह महिलाओं और लड़कियों के शवों को दफनाए, जिनके साथ बलात्कार और हत्या की गई थी। उसने मांग की थी कि शव उसकी मौजूदगी में निकाले जाएं और दावा किया था कि उनमें यौन उत्पीड़न के स्पष्ट निशान होंगे।

इतना ही नहीं, इस ‘व्हिसलब्लोअर’ ने एसआईटी को एक खोपड़ी भी सौंपी थी, जिसे उसने कथित तौर पर एक दफन स्थल से निकालने का दावा किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए उसके लिए गवाह सुरक्षा कानून के तहत सुरक्षा और सुविधाएं भी मुहैया कराई गई थीं। लेकिन अब पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि शिकायतकर्ता को दी गई सुरक्षा वापस ले ली गई है।

कब्रें खोदी गईं, सबूत नहीं मिले

शिकायतकर्ता के आरोपों के बाद एसआईटी ने धर्मस्थल के अलग-अलग 17 स्थानों पर खुदाई करवाई थी। लेकिन पुलिस के अनुसार, अधिकांश जगहों से कोई अवशेष नहीं मिला, केवल दो जगहों पर कुछ अस्थियां बरामद हुई हैं। एसआईटी अब भी इस मामले की जांच जारी रखे हुए है।

इस बीच, एक महिला सुजाता भट ने भी खुलासा किया कि उसने 2003 में अपनी बेटी अनन्या भट के गुमशुदा होने की झूठी शिकायत दर्ज कराई थी। उसने माना कि उसकी कोई बेटी उस नाम से थी ही नहीं और यह आरोप उसने संपत्ति विवाद के चलते लगाए थे।

धर्मस्थल धर्माधिकारी डी. वीरेन्द्र हेग्गड़े ने शिकायतकर्ता की गिरफ्तारी का स्वागत किया और कहा कि अब सच्चाई सामने आने लगी है। उन्होंने कहा, “इन निराधार आरोपों से धर्मस्थल और श्रद्धालुओं को गहरी चोट पहुंची थी। हमें विश्वास है कि न्याय होगा और तथ्य सामने आएंगे।” हेग्गड़े ने इसे हिंदू धार्मिक संस्थाओं पर हमला करार दिया और कहा कि मंदिर पर यह एक बड़ी साज़िश थी।

सरकार और विपक्ष आमने-सामने

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि सरकार न्याय के पक्ष में खड़ी है और दोषी चाहे कोई भी हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी पहले चुप रही और अब इस मामले का राजनीतिकरण कर रही है। गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा कि अगर आरोप झूठे साबित होते हैं तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

दूसरी ओर, बीजेपी ने मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपने की मांग की। विपक्ष के नेता आर. अशोक ने कहा कि सिर्फ शिकायतकर्ता की गिरफ्तारी काफी नहीं है, बल्कि असली साजिशकर्ताओं का भी पर्दाफाश होना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में विदेशी फंडिंग और धर्मांतरण लॉबी का हाथ हो सकता है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने इसे हिंदू परंपराओं और भावनाओं को बदनाम करने की साजिश बताया और कहा कि “सभी साजिशकर्ताओं को सामने लाना जरूरी है।”

यूट्यूबर भी जांच के दायरे में

एसआईटी ने इस मामले में यूट्यूबर एमडी समीर को भी नोटिस जारी किया है। उन पर भड़काऊ और भ्रामक सामग्री फैलाने का आरोप है। समीर को मंगलुरु की अदालत से अग्रिम जमानत मिल चुकी है, लेकिन अदालत ने उन्हें जांच में सहयोग करने और भड़काऊ बयान न देने का आदेश दिया है। पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 192, 240 और 353(1)(b) के तहत मामला दर्ज किया है।