DGMO राजीव घई ने क्रिकेट की कहावत से समझाई भारत की एयर डिफेंस ग्रिड की ताकत

डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा कि भारत की एयर डिफेंस प्रणाली की कई परतें दुश्मन की किसी भी हवाई चुनौती को रोकने में सक्षम हैं। अगर एक परत से खतरा निकल भी जाए, तो अगली परत उसे जरूर गिरा देगी।

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डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई । IANS

नई दिल्लीः भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर होने के बाद आज भारतीय सेना के तीनों विंग के अधिकारियों ने लगातार दूसरे दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस कॉन्फ्रेंस में लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई एक क्रिकेट कहावत के जरिए भारत की एयर डिफेंस ग्रिड की ताकत समझाने की कोशिश की।

दरअसल राजीव घई ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय कार्रवाई की जानकारियां दे रहे थे। उन्होंने यह बताने की कोशिश की हमारा एयर डिफेंस ग्रिड कितना मजबूत है।  डीजीएमओ ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की एयर डिफेंस कार्रवाई को हमें एक मामले में समझने की जरूरत है।  इसके बाद उन्होंने एयर डिफेंस की मजबूती और सटीक लक्ष्य बनाने की क्षमता के बारे में बताने के लिए ऑस्ट्रेलिया के दो खूंखार गेंदबाज डेनिस लिली और जैफ थॉमसन का उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा कि भारत की एयर डिफेंस प्रणाली इतनी मजबूत और परतदार है कि कोई भी दुश्मन उसे पूरी तरह पार नहीं कर सकता। घई ने 70 के दशक के ऑस्ट्रेलिया के दो दिग्गज तेज गेंदबाजों – जेफ थॉमसन और डेनिस लिली – का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा,ऑस्ट्रेलिया में उस समय एक कहावत निकली थी- "Ashes to ashes, dust to dust, if Thommo don't get ya, Lillee must" इसका मतलब है कि अगर थॉमो तुम्हें आउट नहीं कर पाते हैं, तो लिली तुम्हें जरूर आउट कर देंगे।

 राजीव घई ने आगे कहा कि अगर आप इन लेयर्स को देखेंगे, तो आप समझ जाएंगे कि मैं क्या कहने की कोशिश कर रहा हूं। भले ही दुश्मन ने सभी लेयर को पार कर भी गए हों तब भी कोई न कोई इस ग्रिड सिस्टम की परतों में से एक उनको गिरा देगा।

भारत की 'आयरन डोम' जैसी सुरक्षा कवच

बता दें भारत की चार-स्तरीय एयर डिफेंस प्रणाली ने पाकिस्तान की मिसाइल और ड्रोन स्ट्राइक का पूरी तरह से जवाब दिया। इस मल्टी-लेयर सिस्टम में S-400, आकाश, बराक-8, QRSAM और VSHORAD जैसे सिस्टम शामिल हैं, जिसे दुनिया ‘भारतीय आयरन डोम’ के तौर पर देख रही है। हाल के वर्षों में भारत ने इस प्रणाली को तकनीकी रूप से काफी मजबूत किया है।

एयर डिफेंस की वो चार परतें हैं:

लॉन्ग रेंज – बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम (PAD और AAD)

इंटरमीडिएट रेंज – S-400 ट्रायम्फ

शॉर्ट रेंज – आकाश और बराक-8

वेरी शॉर्ट रेंज – मैनपैड्स (VSHORAD) और एंटी-एयरक्राफ्ट गन

कैसे काम करती है यह प्रणाली?

सबसे पहले रडार और सैटेलाइट के ज़रिए संभावित खतरे (जैसे मिसाइल, ड्रोन, फाइटर जेट) का पता लगाया जाता है। इसके बाद इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) के ज़रिए खतरे की दिशा, गति और स्वरूप का विश्लेषण होता है। फिर उसी के अनुसार उपयुक्त हथियार प्रणाली को सक्रिय किया जाता है — जैसे लंबी दूरी के लिए S-400, मध्यम के लिए आकाश और निकटवर्ती खतरे के लिए गन सिस्टम।

पाकिस्तान के सिस्टम को पीछे छोड़ा

पाकिस्तान की ओर से तैनात किए गए चीनी मूल के एयर डिफेंस सिस्टम जैसे HQ-9/P, LY-80 और FM-90 को भारत ने पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया। भारतीय सेना ने इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, काइनेटिक स्ट्राइक्स और स्मार्ट मिलिट्री डॉक्ट्रिन के ज़रिए इन सभी सिस्टम की कार्यक्षमता को ध्वस्त कर दिया।

DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई के बारे में

लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून के पूर्व छात्र हैं और 1989 में कुमाऊं रेजीमेंट में शामिल हुए थे। वे श्रीनगर स्थित चिनार कोर के जीओसी रह चुके हैं, जहां उन्होंने नियंत्रण रेखा की सुरक्षा और घाटी में आतंकी नेटवर्क को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ऑपरेशन सिंदूर में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। पाक अधिकृत कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के पांच आतंकी कैंपों को तबाह करने में उन्होंने चिनार कोर के कमांडर के साथ मिलकर लक्ष्य चिन्हित किए थे।

 

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