DGCA ने सभी एयरलाइनों को बोइंग विमानों के फ्यूल स्विच की जांच के दिए निर्देश, 21 जुलाई डेडलाइन

डीजीसीए का यह कदम उस शुरुआती जांच रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें खुलासा हुआ कि 12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया फ्लाइट AI171 हादसे में दोनों इंजनों के फ्यूल कंट्रोल स्विच उड़ान के कुछ सेकंड बाद ही ‘रन’ से ‘कटऑफ’ स्थिति में चले गए, जिससे..

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Photograph: (AI)

नई दिल्लीः पिछले महीने हुए भीषण एयर इंडिया हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद भारत के विमानन नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने देश की सभी एयरलाइनों को बोइंग विमानों के फ्यूल कंट्रोल स्विच की व्यापक जांच के निर्देश दिए हैं। यह जांच बोइंग के 787 और 737 मॉडल वाले विमानों की होगी जिनमें स्विच लॉकिंग मैकेनिज्म की संभावित खामियों को लेकर संदेह जताया गया है। डीजीसीए ने 21 जुलाई तक जांच पूरी करने को कहा है।

क्यों बढ़ी जांच की जरूरत?

डीजीसीए का यह कदम उस शुरुआती जांच रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें खुलासा हुआ कि 12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया फ्लाइट AI171 हादसे में दोनों इंजनों के फ्यूल कंट्रोल स्विच उड़ान के कुछ सेकंड बाद ही ‘रन’ से ‘कटऑफ’ स्थिति में चले गए, जिससे दोनों इंजनों में अचानक ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई और विमान कुछ ही सेकंड में गिरकर एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकरा गया। इस हादसे में 242 यात्रियों में से 241 की मौत हुई, और 19 लोग जमीन पर भी मारे गए। यह पिछले एक दशक का सबसे बड़ा विमानन हादसा माना जा रहा है।

भारत की एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) द्वारा जारी 15 पन्नों की प्रारंभिक रिपोर्ट में इस बात पर भी रोशनी डाली गई है कि एफएए (अमेरिकी विमानन प्राधिकरण) ने पहले ही 2018 में चेतावनी जारी की थी कि कुछ बोइंग विमानों में फ्यूल स्विच का लॉकिंग फीचर डिसएंगेज हो सकता है। हालांकि, एयर इंडिया ने इस चेतावनी को "अनिवार्य नहीं" मानते हुए कोई कार्रवाई नहीं की।

डीजीसीए को यह जानकारी भी मिली कि एयर इंडिया समूह ने पहले ही अपने बोइंग 787 और 737 विमानों में फ्यूल स्विच की जांच शुरू कर दी थी। अब तक कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है। इसी तरह, एतिहाद एयरवेज और सिंगापुर एयरलाइंस ने भी हाल ही में अपने इंजीनियरों को फ्यूल स्विच लॉकिंग मैकेनिज्म की विशेष जांच के निर्देश दिए हैं।

सुरक्षा उपाय पहले से थे, फिर भी चूक कैसे हुई?

बोइंग 787 जैसे विमानों में फ्यूल स्विच थ्रस्ट लीवर के नीचे लगाए जाते हैं और इनमें मेटल लॉक और प्रोटेक्टिव गार्डों जैसे सुरक्षा फीचर होते हैं ताकि दुर्घटनावश ईंधन की आपूर्ति बंद न हो सके। बावजूद इसके, एएआईबी की रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट उल्लेख नहीं है कि स्विच आखिर किसने और क्यों बंद किए। रिपोर्ट ने न पक्षपात किया है न किसी को दोषी ठहराया है, लेकिन यह जरूर कहा कि पायलट इस बदलाव से भ्रमित दिखे और जरूरी समय में थ्रस्ट नहीं मिल पाया।

एयर इंडिया के सीईओ कैम्पबेल विल्सन ने कहा है कि हादसे की शुरुआती रिपोर्ट से और भी सवाल खड़े हुए हैं। उन्होंने एक आंतरिक मेमो में लिखा कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है और किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले सावधानी जरूरी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पायलट फिट थे, ब्रेथ एनालाइज़र टेस्ट पास कर चुके थे, और ईंधन की गुणवत्ता या रनवे टेकऑफ में कोई समस्या नहीं थी।

डीजीसीए ने अब देश की सभी एयरलाइनों को निर्देश दिया है कि वे बोइंग विमानों में फ्यूल स्विच लॉकिंग सिस्टम की विशेष जांच करें। इसमें यह देखा जाएगा कि क्या लॉकिंग मैकेनिज्म ठीक से काम कर रहा है और कहीं पुरानी FAA चेतावनी के बावजूद कोई लापरवाही तो नहीं हुई है। डीजीसीए ने कहा है कि वह जांच की निगरानी करेगा और किसी भी तकनीकी चूक पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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