नई दिल्ली: पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत से संपर्क किया है और सिंधु जल संधि (IWT) पर नई दिल्ली की चिंताओं को दूर करने की इच्छा जताई है। सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद दशकों से छह दशक से चले आ रहे सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला किया था।

इससे पहले पिछले महीने भी पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत सरकार के संधि को निलंबित करने के फैसले के बारे में दिए गए औपचारिक पत्र का जवाब दिया था। उस पत्र में पाकिस्तानी पक्ष ने संधि के उन प्रावधानों पर चर्चा करने की पेशकश भी की, जिन पर भारत को आपत्ति है। यह पहली बार था जब इस्लामाबाद ने संधि की शर्तों पर बातचीत करने के लिए औपचारिक रूप से तत्परता का संकेत दिया था। यह जवाब ऑपरेशन सिंदूर से पहले आया था और इसमें बातचीत के लिए मई में कुछ तारीखों का सुझाव भी दिया गया था।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद से, पाकिस्तान ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को फिर से पत्र लिखकर बातचीत के लिए अपनी पेशकश को दोहराया है। सूत्रों ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान से कम से कम दो पत्र इस संबंध में प्राप्त हुए हैं।

भारत की फिलहाल बातचीत में दिलचस्पी नहीं

शीर्ष सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत फिलहाल इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ बातचीत करने में दिलचस्पी नहीं रखता है और यह संधि स्थगित रहेगी। सूत्रों ने बताया कि इन पत्रों को विदेश मंत्रालय को भेज दिया गया है। संधि को लेकर भारत की आपत्तियों पर चर्चा करने के लिए पाकिस्तान की ओर से हाल में कई बार दिए गए ये प्रस्ताव अहम है।

ऐसा इसलिए कि क्योंकि जनवरी 2023 में और फिर सितंबर 2024 में भारत की ओर से दो पूर्व नोटिसों के बावजूद पाकिस्तान ने इस पर बातचीत में कोई रूचि नहीं जताई थी। भारत की ओर से सिंधु जल संधि की समीक्षा और इसमें संशोधन की मांग को पाकिस्तान नजरअंदाज करता रहा।

हालांकि, पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले और फिर भारत द्वारा तत्काल प्रभाव से संधि को निलंबित करने के बाद से पाकिस्तान ने बातचीत के लिए दबाव बनाना शुरू किया है।

पाकिस्तान की लगातार मांग के बीच भारत की योजना क्या है?

सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान के साथ फिलहाल किसी बातचीत को लेकर अनिच्छा जताते हुए सरकार ने सिंधु नदी प्रणाली से पानी को विभिन्न भारतीय राज्यों में मोड़ने के लिए एक नहर बनाने की योजना तैयार की है। पहले चरण में, ब्यास नदी से राजस्थान के श्री गंगानगर तक पानी ले जाने के लिए 130 किलोमीटर लंबी नहर तैयार करने की योजना है। इसमें दो साल का समय लग सकता है।

इसके बाद दूसरे चरण में इसे और 70 किलोमीटर तक फैलाने की योजना है ताकि नहर को यमुना नदी तक बढ़ाया जा सके। इससे पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली को पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सकेगा। हालांकि, पहले पहले चरण के लिए अनुमानित समय-सीमा तीन वर्ष है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इसे दो वर्षों में पूरा किया जा सकता है। जल के बहाव को मोड़ने का कार्य ढाई वर्षों के भीतर शुरू हो जाने की संभावना है।

पाकिस्तान की रबी फसल होगी प्रभावित

सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान को पानी का प्रवाह बंद होने से उसके लिए रबी फसल के मौसम में चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'अगर रबी सीजन के दौरान एक महीने से अधिक समय तक पानी उपलब्ध नहीं रहता है, तो इससे फसल को नुकसान हो सकता है। पीने के पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है। हालांकि, पाकिस्तान की खरीफ फसलों को ज्यादा समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि वह मानसून के साथ मेल खाता है।'

सरकारी सूत्रों ने यह भी कहा कि मानसून के कम होते ही भारत चेनाब, झेलम और सिंधु नदियों पर अपने पनबिजली जलाशयों में फ्लशिंग और डिसिल्टिंग (तल या किनारे पर जमी गाद, कीचड़ आदि हटाने की प्रक्रिया) ऑपरेशन को बढ़ाने की योजना बना रहा है ताकि उनकी भंडारण क्षमता को बढ़ाया जा सके। एक अधिकारी ने कहा, 'इन जलाशयों को पूरी तरह से डिसिल्टिंग की जरूरत है। कुछ में, गाद और तलछट चट्टान में बदल गए हैं। कम से कम पांच प्रतिशत जलाशय की तलहटी चट्टानी हो गई है।'

सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद जम्मू और कश्मीर में चेनाब नदी पर भारत की दो रन-ऑफ-द-रिवर पनबिजली परियोजनाओं- बगलिहार और सलाल में पहला फ्लशिंग अभ्यास हाल में किया गया था। इस ऑपरेशन का उद्देश्य बिजली उत्पादन में बाधा डालने वाली तलछट को साफ करना था। 1987 में सलाल परियोजना और 2008-09 में बगलिहार परियोजना के चालू होने के बाद से यह इस तरह का पहला अभ्यास था। इससे पहले संधि के तहत पाकिस्तान की बार-बार आपत्तियों की वजह से भारत ये काम नहीं कर पा रहा था।