पहलगाम हमले की जगह को 'शहीद हिंदू वैली टूरिस्ट प्लेस' घोषित करने की मांग खारिज, हरियाणा और पंजाब HC ने कहा- यह नीति का विषय

याचिका पर 6 मई को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सवाल उठाया था कि क्या अनुच्छेद 226 के तहत ऐसी घोषणाएं करना अदालत के अधिकार क्षेत्र में आता है। आज की सुनवाई में अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि यह विषय कार्यपालिका का है, न्यायपालिका का नहीं।

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चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हालिया पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए पीड़ितों को 'शहीद' घोषित करने और हमले की जगह को ‘शहीद हिंदू वैली टूरिस्ट प्लेस’ घोषित करने की मांग वाली जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि यह मामला सरकार की नीति निर्माण की सीमा में आता है और न्यायपालिका इसमें दखल नहीं दे सकती।

मुख्य न्यायाधीश श्री शील नागू और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की खंडपीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा, “किसी स्थान को स्मारक घोषित करना, उसका नाम बदलना या किसी मृत व्यक्ति को 'शहीद' घोषित करना राज्य सरकार की नीति का विषय है, न कि अदालत का।” 

कोर्ट ने आगे कहा कि यह कार्यपालिका का विशेषाधिकार है और न्यायालय नीति निर्माण की प्रक्रिया में नहीं पड़ सकता।

याचिका पर 6 मई को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सवाल उठाया था कि क्या अनुच्छेद 226 के तहत ऐसी घोषणाएं करना अदालत के अधिकार क्षेत्र में आता है। आज की सुनवाई में अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि यह विषय कार्यपालिका का है, न्यायपालिका का नहीं।

हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी कि वह अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्ताव रख सकता है। सरकार इस पर कानून के तहत यथासंभव शीघ्र निर्णय लेगी। इसी के साथ अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया।

क्या थी याचिका की मांग?

इस जनहित याचिका को वकील आयुष आहूजा ने व्यक्तिगत रूप से दाखिल किया था। याचिका में दो प्रमुख मांगें की गई थीं। पहला यह कि पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को ‘शहीद’ का दर्जा दिया जाए। और दूसरा, जिस स्थान पर हमला हुआ, उसे ‘शहीद हिंदू वैली टूरिस्ट प्लेस’ के रूप में घोषित किया जाए। इस मामले में भारत सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन और सीनियर पैनल काउंसल धीरज जैन ने अदालत में पक्ष रखा।

गौरतलब है कि पिछले महीने पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई थी। इस अमानवीय घटना के बाद भारत-पाक के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था और भारतीय सेना ने पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया। भारतीय सेना के इस ऑपरेशन में आतंकवादियों के कई ठिकानों पर सटीक हमले किए गए और 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए।

 

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