दिल्ली में पुराने वाहन नहीं होंगे जब्त Photograph: (आईएएनएस)
नई दिल्लीः दिल्ली में पुराने वाहनों को ईंधन देने पर रोक लगाने के बाद भारी विरोध के बीच दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि पुराने वाहनों को जब्त नहीं किया जाएगा। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि सरकार पुराने वाहनों के संबंध में नई व्यवस्था योजना बना रही है।
सिरसा ने कहा "हम दिल्ली के पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचने देंगे और न ही यहां के निवासियों के वाहन जब्त करने देंगे।"
सीएक्यूएम को लिखा पत्र
इससे पहले पर्यावरण मंत्री ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को लिखकर यह मांग की थी कि निर्देश संख्या 89 के क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाए। एएनआई द्वारा साझा किए गए पत्र में कहा गया "हम आयोग से आग्रह करते हैं कि निर्देश संख्या 89 के कार्यान्वयन को तत्काल प्रभाव से तब तक के लिए रोक दिया जाए जब तक कि स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) प्रणाली पूरे एनसीआर में निर्बाध रूप से एकीकृत नहीं हो जाती। हमें विश्वास है कि दिल्ली सरकार के चल रहे बहुआयामी प्रयासों से वायु गुणवत्ता में पर्याप्त सुधार होगा।"
सिरसा ने कई परिचालन बाधाओं में प्रकाश डाला है, जिनमें ईएलवी की पहचान के लिए एएनपीआर प्रणाली में तकनीकी गड़बड़ियां और अनुचित कैमरा प्लेसमेंट, एनसीआर में आने वाले जिलों के साथ डेटा का अभाव। कई राज्यों में एएनपीआर को हटा दिया गया है जिससे एनसीआर में इस कार्यक्रम को लेकर बाधा उत्पन्न हुई। अब चूंकि इस व्यवस्था में दिल्ली में ही ईंधन न मिलने की बात की गई है। ऐसे में लोग दिल्ली से सटे जिलों जैसे गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, फरीदाबाद और अन्य जिलों से ईंधन की व्यवस्था कर सकते हैं। इससे अवैध रूप से ईंधन बाजारों को भी बढ़ावा मिलेगा।
प्रवेश वर्मा ने बताईं व्यावहारिक समस्याएं
नई दिल्ली सीट से भाजपा विधायक और दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रवेश वर्मा ने भी इसकी व्यावहारिक समस्याओं की ओर ध्यान खींचा था। वर्मा ने कहा एएनपीआर लागू करना इतना आसान नहीं है। इसके लिए चर्चा हेतु दिल्ली सरकार वायु गुणवत्ता सूचना आयोग (सीएक्यूएम) के साथ बैठक करेगी।
इसके साथ ही वर्मा ने यह भी कहा कि वाहनों पर प्रतिबंध उनकी प्रदूषण स्थिति को देखते हुए लगाना चाहिए न कि आयु को देखते हुए।
पुराने वाहनों को डीजल-पेट्रोल न देने के संबंध में दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें बुधवार को अदालत ने दिल्ली सरकार और सीएक्यूएम से जवाब मांगा। इसकी अगली सुनवाई सितंबर में तय की गई है।
पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन की तरफ से दायर की गई याचिका में वे तेल विपणन कंपनियों के लाइसेंस के तहत काम करने वाली निजी संस्थाएं हैं, जिनके पास सीएक्यूएम के निर्देशों को लागू करने का कोई अधिकार नहीं है। डीलरों ने यह भी कहा कि वे प्रदूषण को कम करने के उपायों का समर्थन करते हैं लेकिन इसकी जिम्मेदारी सरकारी एजेंसियों की होनी चाहिए न कि निजी संस्थाओं की।
यह नीति सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले से आई है जब कोर्ट ने दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाती है। वहीं, एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने 2014 के एक आदेश में कहा था कि सार्वजनिक स्थानों पर 15 साल से पुराने वाहनों की पार्किंग पर रोक रहेगी।