नई दिल्ली: दिल्ली में धार्मिक स्थलों के विध्वंस को लेकर मुख्यमंत्री आतिशी और उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना के बीच विवाद गहरा गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी द्वारा मंदिर और बौद्ध स्थलों को तोड़ने के आरोपों को "सस्ती राजनीति" करार दिया है। मंगलवार को जारी एक बयान में उपराज्यपाल कार्यालय ने स्पष्ट किया कि राजधानी में किसी भी धार्मिक स्थल, चाहे वह मंदिर हो, मस्जिद, चर्च या अन्य को तोड़ने का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।

सीएम आतिशी ने क्या आरोप लगाए?

मुख्यमंत्री आतिशी ने एलजी को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि उनके कार्यालय के निर्देश पर धार्मिक स्थलों, जिनमें मंदिर और बौद्ध पूजा स्थल शामिल हैं, को तोड़ने के आदेश दिए गए हैं।  आतिशी ने कहा कि धार्मिक स्थलों के विध्वंस से लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं।

उन्होंने अपने पत्र में दावा किया कि नवंबर 22 को धार्मिक समिति की बैठक हुई थी, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों—पश्चिम पटेल नगर, दिलशाद गार्डन, सुंदर नगरी, सीमापुरी, गोकलपुरी और उस्मानपुर—में स्थित धार्मिक संरचनाओं को तोड़ा जाएगा।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन निर्णयों में मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। आतिशी ने लिखा, "धार्मिक समिति के सभी निर्णय अब सीधे आपके कार्यालय की निगरानी में हो रहे हैं और सभी फाइलें मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को बाईपास करते हुए एलजी कार्यालय तक पहुंच रही हैं।"

एलजी विनय कुमार सक्सेना का जवाब

एलजी विनय कुमार सक्सेना ने आतिशी के मंदिर गिराने के आरोपों का खंडन किया और इसे सस्ती राजनीति करार दिया। उनके कार्यालय ने बयान जारी करते हुए कहा, "ना तो किसी धार्मिक स्थल को तोड़ने का आदेश दिया गया है और ना ही ऐसी कोई फाइल हमारे पास आई है।" इसके विपरीत, हाल ही में क्रिसमस के दौरान भी सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे, जिससे कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।

एलजी कार्यालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कहीं तोड़फोड़ की घटनाएं होती हैं, तो वह किसी राजनीतिक लाभ के लिए हो सकती हैं। एलजी ने पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ या सार्वजनिक अशांति को रोकने के लिए विशेष सतर्कता बरती जाए।