नई दिल्लीः बीते शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और रेलवे को फटकार लगाई है। शनिवार रात हुई भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने जानने के लिए मांग की कि एक कोच में बैठ सकने वाले यात्रियों की संख्या से अधिक टिकटों की बिक्री क्यों जारी रखी गई। कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार और रेलवे से जवाब मांगा है।
जनहित याचिका पर हुई सुनवाई
कोर्ट सुरक्षा को लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में सुरक्षा उपायों और रेलवे अधिनियम की धारा लागू करने की मांग की गई थी। यह धारा प्रत्येक कोच में यात्रियों की संख्या को सीमित करती है।
रेलवे अधिनियम की धारा-147 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति रेलवे की संपत्ति का दुरुपयोग करता है तो उसे छह महीने की सजा और एक हजार रूपये का फाइन लगता है।
कोर्ट ने लगाई फटकार
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि "आप मौजूदा कानूनों को लागू करने के लिए क्या कदम उठाएंगे जो कोच में यात्रियों की संख्या को नियंत्रित करते हैं और बिना अधिकार करने वाले व्यक्तियों को दंडित करते हैं। "
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि " यदि आप साधारण सी बात को सकारात्मक तरीके से...अक्षरशः लागू करते हैं... तो इस परिस्थिति (दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़) से बचा जा सकता था।"
कोर्ट के समक्ष रेलवे की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड इस परिस्थिति के सभी पहलुओं पर गौर करेगा। मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होनी है। बीते दिनों हुई भगदड़ का मुख्य कारण स्टेशन पर ज्यादा भीड़ का होना बताया गया है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दिन प्रति घंटे 1500 टिकट बेचे गए थे।