नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री आतिशी को नोटिस भेजा है। अदालत ने आतिशी के खिलाफ मानहानि मामले में उनकी प्रतिक्रिया मांगी है। यह मामला भाजपा नेता प्रवीन शंकर कपूर की याचिका से संबंधित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आतिशी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों को खरीदने की कोशिश करने का आरोप लगाया था।
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने आदेश दिया, "उत्तरदाता (आतिशी) को नोटिस जारी किया जाए।" इस मामले की सुनवाई अप्रैल में होगी।
क्या है पूरा मामला?
भाजपा नेता कपूर का कहना है कि विशेष अदालत ने अपनी सीमा लांघते हुए उनकी मानहानि याचिका को खारिज कर दिया और मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा आतिशी को जारी किए गए समन को रद्द कर दिया। कपूर के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि विशेष अदालत के उस फैसले पर रोक लगाई जाए, जिसमें आतिशी को "व्हिसलब्लोअर" करार दिया गया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस पर कोई रोक नहीं लगाई और आतिशी से इस मामले में जवाब मांगा।
कपूर की ओर से दलील दी गई कि विशेष अदालत को केवल मानहानि के आरोपों पर विचार करना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि आतिशी ने पुलिस के सामने कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया, जिससे उनके दावों की पुष्टि हो सके।
याचिका में क्या कहा गया था?
कपूर ने अपनी याचिका में कहा कि विशेष अदालत के जज ने "राजनीतिक बहस में पड़कर" फैसला सुनाया और यह तय करने की कोशिश की कि कौन सी पार्टी बड़ी है और कौन छोटी।
उन्होंने अदालत को याद दिलाया कि आतिशी ने 27 जनवरी और फिर 2 अप्रैल 2024 को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान BJP पर AAP विधायकों को 20-25 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप लगाया था।
इस मामले में आम आदमी पार्टी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी आरोपी बनाया गया था, लेकिन मजिस्ट्रेट अदालत ने 28 मई 2024 को उनके खिलाफ पर्याप्त आधार न होने की वजह से उनके खिलाफ मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया था।
विशेष अदालत ने क्या कहा था?
28 जनवरी 2025 को विशेष जज विशाल गोगने ने कहा कि आतिशी के आरोप "राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने का अधिकार" थे, न कि मानहानि के दायरे में आते हैं। अदालत ने यह भी माना कि आतिशी के खिलाफ पूर्व-समन साक्ष्य (pre-summoning evidence) पर्याप्त नहीं थे, जिसके आधार पर उन्हें आरोपी बनाया जा सके।
अब हाईकोर्ट ने आतिशी से इस मामले में जवाब मांगा है और इस पर अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।