नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 8 मई को निर्धारित की गई है। इससे पहले नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर शिकंजा कसते हुए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपपत्र दायर किया था। 

ईडी ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया था। ईडी ने सोनिया और राहुल नेताओं को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी बनाया है। आरोपपत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा, सुमन दुबे समेत कई नेताओं के नाम भी शामिल हैं। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय ने (ईडी) ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड-यंग इंडियन-नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर आरोपपत्र में 661 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने की मांग की। ईडी ने यह संपत्ति जांच के दौरान अटैच की थी। 

कोर्ट में हाजिर होने का नोटिस

दरअसल, जिस मामले में राहुल गांधी और सोनिया गांधी को कोर्ट में हाजिर होने का नोटिस मिला है, वह नेशनल हेराल्ड अखबार और उसकी मूल कंपनी एजेएल यानी असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से जुड़े वित्तीय अनियमितताओं पर फोकस है।  इसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी को आरोपी बनाया गया है।  इससे पहले राउस एवेन्यू कोर्ट ने 25 अप्रैल 2025 को ED की चार्जशीट पर सुनवाई की थी, मगर दस्तावेजों की कमी के कारण नोटिस जारी नहीं किया था। 

राहुल गांधी-सोनिया गांधी के खिलाफ आरोपपत्र

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने हाल ही में नेशनल हेराल्ड मामले में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी और ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर ईडी के आरोपपत्र में सुमन दुबे और अन्य के नाम भी शामिल हैं। अदालत ने मामले में संज्ञान पर बहस के लिए 25 अप्रैल की तारीख तय की है। इससे पहले ईडी ने इस मामले से जुड़ी संपत्तियों पर कब्जा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।

उल्लेखनीय है कि नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की स्थापना 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस समाचार पत्र को एसोसिएट जर्नल लिमिटेड (एजेएल) द्वारा प्रकाशित किया जाता था। वर्ष 2008 में वित्तीय संकट के बाद इसे बंद करना पड़ा, जहां से इस विवाद की शुरुआत हुई। साल 2010 में यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (वाईआईएल) नाम की कंपनी बनी, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी की 38-38 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।