नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। एक वकील ने अय्यूब पर ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) प्लेटफॉर्म पर अपने पोस्ट के माध्यम से हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने और भारत विरोधी भावना फैलाने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की थी।
वेबसाइट लाइवलॉ डॉट इन की रिपोर्ट के अनुसार साकेत कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हिमांशु रमन सिंह ने ‘प्रथम दृष्टया’ पाया कि अय्यूब के खिलाफ संज्ञेय अपराध बनता है, जो धारा 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 ए (किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 505 (सार्वजनिक तौर पर उत्पात फैलाने वाले बयान) के तहत दंडनीय है।
कोर्ट ने पुलिस को दिया FIR दर्ज करने का निर्देश
मामले पर कोर्ट ने कहा, ‘तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, यह शिकायत संज्ञेय अपराधों के होने का खुलासा करती है जिसके लिए एफआईआर की जरूरत है। सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत वर्तमान आवेदन को अनुमति दी जाती है। एसएचओ साइबर पुलिस स्टेशन, साउथ को शिकायत की सामग्री को एफआईआर के रूप में बदलने और मामले की निष्पक्ष जांच करने का निर्देश दिया जाता है।’
दरअसल, पिछले साल 11 नवंबर को पेशे से वकील अमिता सचदेवा ने नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सोशल मीडिया पोस्ट के लिए अय्यूब के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई का अनुरोध किया था।
सचदेवा ने आरोप लगाया था कि राणा अय्यूब ने लगातार अपने सोशल मीडिया हैंडल का इस्तेमाल हिंदू देवताओं का अपमान करने, भारतीय एकता के ताने-बाने को खराब करने और भारतीय सेना सहित भारत और उसके नागरिकों के प्रति शत्रुता को बढ़ावा देने के लिए किया है।
पुलिस के कार्रवाई नहीं करने के बाद कोर्ट पहुंचा था मामला
सचदेवा के अनुसार उनकी शिकायतों पर पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत एक आवेदन दायर कर पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
शिकायतकर्ता अमिता सचदेवा की ओर से अय्यूब द्वारा एक्स पर किए गए कुछ पोस्ट को कोर्ट के सामने रखा गया। यह सभी पोस्ट 2013, 2014, 2015 और 2022 के हैं। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि राणा अय्यूब ने भगवान राम को ‘अपमानित’ किया, और रावण का ‘महिमामंडन’ किया। साथ ही सीता और द्रौपदी को ‘अपमानजनक’ रूप में दिखाया। साथ ही वीर सावरकर का उल्लेख एक ‘आतंकवादी समर्थक’ के रूप में किया।
अमिता सचदेवा दिल्ली आर्ट गैलरी (डीएजी) में प्रदर्शित एम एफ हुसैन की दो कलाकृतियों से संबंधित मामले में भी शिकायतकर्ता रह चुकी हैं। कोर्ट में सचदेवा का प्रतिनिधित्व एडवोकेट मकरंद अडकर, यादवेंद्र सक्सेना और विक्रम कुमार ने किया।