Skirt Photograph: (Agency)
नई दिल्ली: हाल ही में दिल्ली की एक अदालत ने सात महिलाओं को बरी कर दिया, जिन पर पिछले साल एक बार में अश्लील डांस करने और लोगों को परेशान करने का आरोप था। दरअसल, पहाड़गंज पुलिस स्टेशन में महिलाओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 294 के तहत केस दर्ज किया गया था। वहीं मामले की सुनवाई करते हुए तीस हजारी कोर्ट की तिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीतू शर्मा ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि मामले में कोई अपराध किया गया था।
'छोटे कपड़े पहनना अपराध नहीं'
रिपोर्ट के मुताबिक, मजिस्ट्रेट नीतू ने कहा, 'अब न तो छोटे कपड़े पहनना अपराध है और न ही गानों पर डांस करने से सजा हो सकती है फिर भले ही वो डांस सार्वजनिक तौर पर ही क्यों ना किया जा रहा हो। उन्होंने आगे कहा, 'डांसर को सजा केवल तब ही हो सकती है जब उसका डांस अन्य लोगों को परेशान कर दे। मामला एक सब-इंस्पेक्टर (एसआई) की शिकायत पर दर्ज किया गया था। उन्होंने दावा किया था कि वह इलाके में पेट्रोलिंग कर रहे थे। उनका आरोप था कि जब वह बार के अंदर गए तो देखा कि कुछ लड़कियां छोटे कपड़े पहनकर अश्लील गानों पर डांस कर रही थीं।
कोर्ट ने पुलिस पर उठाए सवाल
कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले में पुलिस अधिकारी ने कहीं भी यह दावा नहीं किया कि डांस किसी अन्य व्यक्ति को परेशान करने वाला था। इसमें आगे कहा गया कि दो गवाहों ने कहा कि वे उस स्थान पर मौज-मस्ती के लिए गए थे और उन्हें मामले के बारे में कुछ भी पता नहीं था। कोर्ट ने कहा यह साफ है कि पुलिस ने एक कहानी गढ़ी लेकिन उसे जनता से समर्थन नहीं मिला। भले ही हम एसआई धर्मेंद्र के दावे को स्वीकार कर लें, लेकिन इससे अपराध स्थापित नहीं होगा।
कोर्ट ने भी यह भी कहा कि एसआई अपने उस दावे के सबूत के तौर पर कोई भी ड्यूटी रोस्ट या डीडी एंट्री दिखाने में विफल रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि उस समय वह पेट्रोलिंग पर था।