दिल्ली में स्कूलों के मनमाने रवैये पर लगाम लगाने की तैयारी, स्कूल फीस एक्ट को कैबिनेट की मंजूरी

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि दिल्ली कैबिनेट ने दिल्ली स्कूल फीस एक्ट को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने ऐसा कोई प्रावधान नहीं बनाया था।

School going Children

प्रतीकात्मक तस्वीर Photograph: (AI/ Grok)

नई दिल्ली: दिल्ली कैबिनेट ने मंगलवार को निजी और सरकारी स्कूलों में फीस को विनियमित करने के लिए एक मसौदा विधेयक (दिल्ली स्कूल फीस एक्ट) को मंजूरी दे दी। इससे पहले कई अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय (डीओई) कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। अभिभावकों ने अपने बच्चों की बढ़ी हुई स्कूल फीस को वापस लेने की मांग की थी। 

अभिभावकों के लगातार विरोध के बाद, डीओई ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि उसने उन निजी स्कूलों के खिलाफ जांच शुरू की है, जो अवैध रूप से फीस बढ़ा रहे हैं। इस कार्रवाई में स्कूल प्रबंधन की मान्यता रद्द करना और उनका अधिग्रहण करना शामिल है। 

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सीएम रेखा गुप्ता ने कहा, 'हमने कैबिनेट मीटिंग में एक मसौदा विधेयक पारित किया है, जो सभी 1,677 सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों पर लागू होगा। इसमें फीस बढ़ोतरी के लिए दिशा-निर्देश और प्रक्रियाएं तय की गई हैं।' 

'पिछली सरकारों ने नहीं उठाया कोई कदम'

दिल्ली की मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी शिकायतें मिली हैं और फीस बढ़ोतरी के कारण अभिभावक घबराए हुए हैं। उन्होंने कहा, 'कई अभिभावकों ने यह भी शिकायत की है कि स्कूल प्रशासन उनके बच्चों पर फीस को लेकर दबाव डाल रहा है। हमने विस्तृत अध्ययन करने के लिए डीएम को भेजा, ताकि यह समझा जा सके कि स्कूलों में फीस कैसे बढ़ाई गई और फीस को नियंत्रित करने की क्या प्रक्रियाएँ हैं। हमने पाया कि पिछली किसी भी सरकार ने स्कूलों में फीस वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।'

रेखा गुप्ता ने कहा कि विस्तृत अध्ययन करने के बाद सरकार ने कार्रवाई की है। उन्होंने कहा, '1973 से इस फीस वृद्धि के मुद्दे को संबोधित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं था। लेकिन, आज मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि दिल्ली सरकार ने निजी और सरकारी स्कूलों में फीस को विनियमित करने का एक ऐतिहासिक और साहसी फैसला लिया है।'

इसके अलावा, सरकार तीन- स्कूल, जिला और राज्य स्तरीय समितियां बनाएगी जो दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देंगी। गुप्ता ने कहा, 'एक बार स्कूलों के लिए दिशा-निर्देश तय हो जाने के बाद, स्कूल-स्तरीय समिति आदेश जारी करेगी। अगर कोई स्कूल सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो अवैध रूप से फीस बढ़ाने पर स्कूलों पर 1 से 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।'

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