नई दिल्ली: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के एक नए अध्ययन ने भारतीय रेलवे के अनारक्षित टिकट डेटा के आधार पर देश में प्रवास के रुझानों का विश्लेषण किया है।
इस रिपोर्ट में सामने आया कि 2023 में प्रवासियों की कुल संख्या घटकर 40.20 करोड़ रह गई, जो 2011 की जनगणना में 45.57 करोड़ थी। यानी प्रवास में 11.78 फीसदी की कमी आई है।
छोटे शहरों में बढ़े मौके, धीमा हुआ प्रवास
रिपोर्ट बताती है कि छोटे शहरों में बेहतर रोजगार और आर्थिक अवसर मिलने से बड़े शहरों की ओर प्रवास की गति कम हुई है। हालांकि, कुछ राज्यों में प्रवास का अलग ही रुझान देखने को मिला।
पश्चिम बंगाल, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों में बाहर से आने वाले प्रवासियों की संख्या बढ़ी है। दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों की स्थिति में गिरावट आई है।
कौन-कौन से राज्य और जिले हैं प्रवास के केंद्र?
भारतीय रेलवे के आंकड़ों से पता चलता है कि 150 किमी से ज्यादा की दूरी की यात्रा में सबसे ज्यादा लोकप्रिय मार्ग ये रहे:
– उत्तर प्रदेश से दिल्ली
– गुजरात से महाराष्ट्र
– तेलंगाना से आंध्र प्रदेश
– बिहार से दिल्ली
– बिहार से पश्चिम बंगाल
दिल्ली के लिए प्रमुख प्रवासी राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश रहे। वहीं, महाराष्ट्र में गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक और तेलंगाना से सबसे ज्यादा लोग आए।
कौन-कौन से शहर और मार्ग सबसे व्यस्त रहे?
150 किमी से ज्यादा की यात्रा के लिए सबसे व्यस्त शहर रहे:
1. मुंबई
2. बेंगलुरु अर्बन
3. हावड़ा
4. मध्य दिल्ली
5. हैदराबाद
मुर्शिदाबाद से कोलकाता प्रवास का सबसे व्यस्त मार्ग रहा। इसके बाद वलसाड से मुंबई, पश्चिम बर्धमान से हावड़ा, चित्तूर से बेंगलुरु और सूरत से मुंबई प्रमुख मार्गों में शामिल रहे।
नए स्रोत जिले और उभरते रुझान
वलसाड, विल्लुपुरम, सहरसा, मुरादाबाद और मुर्शिदाबाद जैसे जिले प्रवास के नए स्रोत के रूप में उभरे हैं। ये जिले मुख्य रूप से बड़े शहरी केंद्रों की ओर बढ़ते प्रवास को दर्शाते हैं।
दिल्ली के लिए शीर्ष स्रोत जिले रहे:
– आगरा, पटना, कानपुर नगर, झांसी और बरेली।
– दौसा और लुधियाना नए जिलों के रूप में उभरे।
मुंबई के लिए वलसाड, सूरत, नासिक, रत्नागिरी और वाराणसी प्रमुख स्रोत जिले रहे, जबकि सिंधुदुर्ग नया नाम बनकर सामने आया।
कामकाजी वर्ग का अहम योगदान
रिपोर्ट में अनारक्षित द्वितीय श्रेणी (साधारण) टिकट डेटा का इस्तेमाल किया गया, जो मुख्य रूप से कामकाजी वर्ग द्वारा उपयोग किया जाता है। हालांकि, डेटा में आयु, लिंग और प्रवास के कारणों का उल्लेख नहीं है, जिससे यह प्रवास की पूरी तस्वीर पेश नहीं कर पाता।
यह अध्ययन भारत में प्रवास के बदलते रुझानों और रेलवे के माध्यम से आवागमन की गतिशीलता को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। छोटे शहरों के आर्थिक अवसरों और शहरी केंद्रों की ओर बढ़ती प्रवासी संख्या से यह साबित होता है कि देश में रोजगार के तरीके और प्राथमिकताएं बदल रही हैं।