'वक्फ एक्ट पर नहीं हो सका फैसला', अब अगले CJI करेंगे वक्फ याचिकाओं पर सुनवाई

चीफ जस्टिस खन्ना ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि मामले में अंतरिम आदेश पारित करने से पहले लंबी सुनवाई की जरूरत है, जबकि वह अगले सप्ताह ही रिटायर हो रहे हैं।

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ बिल याचिकाओं पर सुनवाई 15 मई तक के लिए टाल दी है।दरअसल, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने इसे अब अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी आर गवई के हवाले कर दिया है।  मालूम हो कि अगले हफ्ते वह रिटायर होने जा रहे हैं। उन्होंने अगले सप्ताह अपनी सेवानिवृत्ति का हवाला देते हुए यह व्यवस्था दी। जस्टिस खन्ना 13 मई को रिटायर होंगे, जबकि जस्टिस गवई 14 मई को देश के अगले चीफ जस्टिस पद की शपथ लेंगे।

चीफ जस्टिस खन्ना ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि मामले में अंतरिम आदेश पारित करने से पहले लंबी सुनवाई की जरूरत है, जबकि वह अगले सप्ताह ही रिटायर हो रहे हैं। इसलिए, इस मामले को अब अगले चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ के पास भेजा जाता है। 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे सीजेआई खन्ना ने कहा कि वह कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते हैं।

वक्फ बोर्ड पर मिली थी  द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी

बता दें कि पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पिछले महीने अधिसूचित किया था।  वक्फ (संशोधन) विधेयक को लोकसभा ने 288 सदस्यों के समर्थन से पारित किया, जबकि 232 सांसद इसके खिलाफ थे।  राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और इसके खिलाफ 95 सदस्यों ने मतदान किया।  वहीं, इसके पास होने के बाद कई राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों ने अधिनियम की वैधता को शीर्ष अदालत में चुनौती दिया था। 

पांच याचिकाओं पर सुनवाई करेगी SC

सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ सोमवार को पांच याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।  याचिकाओं के इस समूह में एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल है।  वहीं, अदालत ने 17 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को स्वीकार किया था।  कोर्ट ने केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्ड में गैर मुस्लिमों की नियुक्ति पर सवाल किए थे। 

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जज के वी विश्वनाथन की पीठ ने इसको सूचीबद्ध किया था।  केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा था कि संसद द्वारा उचित विचार-विमर्श के बाद पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। 

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने क्या कहा था?

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले से पंजीकृत या अधिसूचना के माध्यम से घोषित वक्फ संपत्तियों, जिनमें ‘वक्फ बाय यूजर’ भी शामिल है, को अगली सुनवाई की तारीख तक न तो छेड़ा जाएगा और न ही गैर अधिसूचित किया जाएगा।  इसके बाद पीठ ने केंद्र को कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई पांच मई के लिए तय की थी। 

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