भारत में सरकारी स्वामित्व वाले प्रसारक प्रसार भारती के न्यूज चैनल डीडी न्यूज के लोगो का रंग बदले जाने पर लेकर विवाद जारी है। इसे अब पुराने लाल रंग की जगह केसरिया रंग का कर दिया गया है। ऐसे में विपक्ष डीडी न्यूज के लोगो का रंग बदले जाने को लेकर चैनल का ‘भगवाकरण’ करने का आरोप केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर लगा रहा है। डीडी न्यूज की ओर से 16 अप्रैल को अपने लोगो को बदले जाने की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से दी गई। चुनाव के बीच में नेशनल न्यूज ब्रॉडकास्टर के लोगो के रंग को बदले जाने पर सोशल मीडिया में भी तरह-तरह के कमेंट आ रहे हैं। कई लोगों ने इस फैसले को सराहा है तो कई ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा है।
डीडी न्यूज की ओर से लोगो बदले जाने का वीडियो एक्स पर पोस्ट करने के साथ ही लिखा गया, ‘हमारे मूल्य वही हैं, पर हम अब एक नए अवतार में उपलब्ध हैं। एक ऐसी समाचार यात्रा के लिए तैयार हो जाइए जो पहले कभी नहीं हुआ था। इस नए डीडी न्यूज का अनुभव लीजिए। हमारे पास गति से बेहतर सटीकता, दावों से अधिक तथ्य और सनसनी की बजाय सच्चाई को दिखाने का साहस है। क्योंकि अगर ये डीडी न्यूज पर है तो ये सच है!’
While our values remain the same, we are now available in a new avatar. Get ready for a news journey like never before.. Experience the all-new DD News!
We have the courage to put:
Accuracy over speed
Facts over claims
Truth over sensationalismBecause if it is on DD News, it… pic.twitter.com/YH230pGBKs
— DD News (@DDNewslive) April 16, 2024
इस वीडियो के सामने आने के बाद 2012 और 2014 के बीच प्रसार भारती के सीईओ रहे और तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने एक्स पर लिखा, ‘राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन ने अपने ऐतिहासिक फ्लैगशिप लोगो को भगवा रंग में रंग दिया है! इसके पूर्व सीईओ के रूप में मैं इसके भगवाकरण को बेहद चिंता के साथ देख रहा हूं और महसूस कर रहा हूं – यह अब प्रसार भारती नहीं है, यह ‘प्रचार’ भारती है!’
National broadcaster Doordarshan colours its historic flagship logo in saffron!
As its ex-CEO, I have been watching its saffronisation with alarm and feel —
it’s not Prasar Bharati any more
— it’s Prachar Bharati! https://t.co/a2r6zBLc3C— Jawhar Sircar (@jawharsircar) April 18, 2024
वहीं, इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सरकार ने कहा, ‘यह सिर्फ लोगो की बात नहीं है, सार्वजनिक प्रसारक के बारे में सब कुछ अब भगवा है, जहां सत्तारूढ़ दल के कार्यक्रमों और आयोजनों को अधिकतम प्रसारण समय मिलता है। वहीं विपक्षी दलों को अब शायद ही कोई जगह मिलती है।’
डीडी न्यूज का लोगो बदले जाने पर प्रसार भारती ने क्या कहा?
लोगो को लेकर कई लोगों और विपक्षी पार्टियों की ओर से हो रही आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी ने कहा कि नए लोगो में ‘आकर्षक नारंगी रंग’ है। उन्होंने कहा, ‘कुछ महीने पहले, जी20 (शिखर सम्मेलन) से पहले हमने डीडी इंडिया को लेकर काम किया किया था और उस चैनल के लिए विजुअल लैंग्वेज और ग्राफिक्स को तय किया।’ उन्होंने कहा कि लगभग उसी सयम डीडी न्यूज के विजुअल और तकनीकी स्तर पर रिवैम्प को लेकर काम शुरू हो गया था।
वहीं, डीडी नेशनल का वर्तमान लोगो नीला और केसरिया है। असल में अधिकारियों ने बताया कि 1959 में जब दूरदर्शन लॉन्च हुआ था, तब इसमें केसरिया रंग ही था। आगे चलकर इसमें नीला, पीला, लाल आदि रंग लोगो में जोड़े गए।
डीडी न्यूज की कभी पीएम नरेंद्र मोदी ने की थी आलोचना
डीडी न्यूज पहले भी कई बार विवादों में आता रहा है। इस पर हमेशा से सत्ता में रही सरकार और पार्टी के हित के कार्यक्रम दिखाने के आरोप विपक्ष द्वारा लगाए जाते रहे हैं। साल 2014 के चुनाव में जब नरेंद्र मोदी भाजपा के पीएम उम्मीदवार थे, उस समय डीडी न्यूज की भूमिका को लेकर खुद पीएम मोदी और भाजपा ने सवाल उठाए थे। अब पिछले करीब 10 सालों में डीडी न्यूज की भूमिका पर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियां सवाल खड़े कर रही हैं।
दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनावों के मतदान के दौरान, जिसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार पहली बार सत्ता में आई, उस समय पीएम मोदी के एक इंटरव्यू को एडिट कर के दिखाने का आरोप डीडी न्यूज पर लगा था। उस समय पीएम मोदी ने खुद ट्वीट (अब एक्स) किया था, ‘हमारे राष्ट्रीय टीवी चैनल को अपनी पेशेवर स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हुए देखकर मुझे बहुत दुख होता है।’ दूसरी ओर तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने जवाब देते हुए कहा था कि डीडी की स्वायत्तता और संपादकीय निर्णयों की गारंटी संसद द्वारा दी गई है।
On days such as this, I feel very sad to see our National TV channel struggling to maintain its professional freedom.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 3, 2014
दूरदर्शन पर लगे आरोपों के मुताबिक 56 मिनट के मोदी के इंटरव्यू के 20 मिनट संपादित कर उसे प्रसारित किया गया था। संपादित अंश में प्रियंका गांधी वाड्रा पर मोदी की टिप्पणियां शामिल थीं, जहां उन्होंने यह कहते हुए उन पर हमला करने से इनकार कर दिया था कि वह एक बेटी के रूप में अपना कर्तव्य निभा रही हैं। इसके अलावा कथित तौर पर उन हिस्सों को भी हटाया गया था जहां मोदी ने सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव रहे अहमद पटेल के साथ अपनी घनिष्ठ मित्रता के बारे में बात की थी।
उस समय जवाहर सरकार ही प्रसार भारती के सीईओ थे और उन्होंने माना था कि नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के कुछ हिस्से संपादित किए गए थे। दिलचस्प ये भी है कि सरकार ने विवाद के बीच एक पत्र लिखकर खुद को डीडी समाचार सेवा प्रभाग से दूर रखने की मांग मौजूदा केंद्र सरकार से की थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि मोदी के इंटरव्यू के संपादित हिस्सों को राष्ट्रीय प्रसारक की समाचार संपादकीय टीम के विवेक पर छोड़ दिया गया है।
जवाह सरकार ने तब कहा था, ‘सार्वजनिक प्रसारक की निष्पक्षता और उद्देश्यों को लेकर पब्लिक डोमेन में सवाल उठाए गए हैं”, और प्रसार भारती बोर्ड ने “पिछले दो वर्षों में कई प्रस्ताव लिए हैं, जो मंत्रालय से अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं, लेकिन वह ऐसा करने में यह विफल रहा है।’
उन्होंने साथ ही कहा कि दूरदर्शन समाचार प्रभाग के लिए सबसे अच्छा विकल्प प्रसारण में देरी नहीं करना या भविष्य के इंटरव्यू को संपादित नहीं करना है। हालांकि सरकार के इस पत्र के बारे में अनभिज्ञता जताते हुए तब तिवारी ने आईएएनएस से कहा था, ‘मैंने पत्र नहीं देखा है। यह मुझे संबोधित नहीं था, तो मैं कैसे टिप्पणी करूं?’
डीडी न्यूज: 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद भी विवाद
दूरदर्शन को लेकर विवाद 2014 के बाद भी कायम रहे हैं और हाल-फिलहाल तक कई मामले सामने आते रहे हैं। साल 2015 में ही राष्ट्रीय प्रसारक के गुजराती चैनल द्वारा पीएम मोदी की पत्नी जशोदाबेन के संबंध में एक समाचार प्रसारित करने के बाद दूरदर्शन के सहायक निदेशक को अहमदाबाद से अंडमान स्थानांतरित कर दिया गया था।
‘द न्यूज मिनट’ के अनुसार साल 2018 में दूरदर्शन ने बीजेपी के एक कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया था, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। दिशानिर्देशों के अनुसार, डीडी और ऑल इंडिया रेडियो को केवल सरकारी कार्यक्रमों के लिए लाइव कवरेज करना अनिवार्य है न कि किसी राजनीतिक दल के लिए।
साल 2019 में भी कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि दूरदर्शन सत्तारूढ़ दल को तरजीह दे रहा है। इसी साल दूरदर्शन ने पीएम मोदी के भाषण को प्रसारित नहीं करने को लेकर नेटवर्क के एक सहायक निदेशक को निलंबित कर दिया था। पीएम मोदी ने यहा भाषण आईआईटी में एक हैकथॉन कार्यक्रम में दिया था। निलंबन आदेश में स्पष्ट रूप से कारण नहीं बताया गया लेकिन सूत्रों के अनुसार ‘जानबूझकर अवज्ञा’ इसकी वजह थी।
इसके अलावा हाल ही में इसी साल राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन पर विवादित फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को प्रसारित करने के फैसले की भी कई विपक्षी पार्टियों ने कड़ी आलोचना की थी। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा था कि दूरदर्शन को संघ परिवार के सांप्रदायिक एजेंडे पर नाचने वाली कठपुतली नहीं बनना चाहिए। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की थी कि वह केरल को अपमानित करने के लिए इस मंच का उपयोग न करे। साथ ही राम मंदिर उद्घाटन, जो एक सरकारी कार्यक्रम नहीं था, उसके भी लाइव प्रसारण करने को लेकर विवाद सामने आए थे। फिलहाल दूरदर्शन हर सुबह 6 बजे अयोध्या राम मंदिर से श्रीराम लला आरती का भी लाइव प्रसारण करता है।