दलाई लामा अपने उत्तराधिकारी के चुनाव के बारे में क्या बोले? चीन की नहीं होगी कोई भूमिका

बौद्ध धर्म के 14वें दलाई लामा (Dalai Lama) ने अपने जन्मदिन से पहले कहा है कि उनका उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार गादेन फोडरंग ट्रस्ट (Gaden Phodrang Trust) के पास रहेगा।

dalai lama said about selection of successor will be chosen by gaden phodrang trust

दलाई लामा Photograph: (आईएएनएस)

नई दिल्लीः तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने कहा है कि वह 600 वर्ष पुरानी संस्था उनकी मृत्यु के बाद भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि यह संस्था ही उनके भावी पुनर्जन्म का चयन करेगी जिससे दलाई लामा की नियुक्ति में चीन की भूमिका खत्म हो जाएगी। 

14वें दलाई लामा ने बुधवार को एक आधिकारिक बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने घोषणा की कि गादेन फोडरंग ट्रस्ट ही 15वें अवतार की मान्यता का निर्णय लेगा। गादेन फोडरंग ट्रस्ट दलाई लामा का आधिकारिक कार्यालय है।

दलाई लामा ने क्या कहा?

बौद्ध धर्म के भिक्षु ने कहा "भविष्य के दलाई लामा को मान्यता देने प्रक्रिया 24 सितंबर 2011 के बयान में स्पष्ट रूप से स्थापित की गई है जिसमें कहा गया है कि ऐसा करने की जिम्मेदारी विशेष रूप से गादेन फोडरंग ट्र्स्ट परमपावन दलाई लामा के कार्यालय के सदस्यों पर होगी।"

उन्होंने आगे कहा "उन्हें तिब्बती बौद्ध परंपराओं के विभिन्न प्रमुखों से सलाह लेनी चाहिए और विश्वसनीय शपथबद्ध धर्मरक्षकों से परामर्श करना चाहिए जो दलाई लामाओं की वंशावली से अविभाज्य रूप से जुड़े हुए हैं। उन्हें तदनुसार पिछली परंपरा के अनुसार खोज और मान्यता की प्रक्रियाओं को पूरा करना चाहिए। मैं इस बात को दोहराता हूं कि गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास भविष्य के पुनर्जन्म को मान्यता देने का अधिकार है; किसी और को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।"

जन्मदिन से कुछ दिन पहले जारी किया गया बयान

दलाई लामा द्वारा यह बयान उनके 90वें जन्मदिन से कुछ दिनों पहले जारी किया गया है। दलाई लामा का जन्मदिन 6 जुलाई को है। दुनियाभर में लाखों बौद्ध अनुयायियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। यह चीन के लिए भी एक संदेश है जो लंबे समय से तिब्बती धार्मिक परंपराओं को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है ताकि इस क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत कर सके।

दलाई लामा साल 1959 में भारत आ गए थे। इस समय वह ल्हासा में चीनी शासन के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे जो सफल नहीं हो सका। तभी से वह हजारों तिब्बतियों के साथ निर्वासन में रह रहे हैं। चीन उन्हें अलगाववादी और विद्रोही कहता रहा है। 

दलाई लामा पूरी दुनिया में अहिंसा, करुणा, तिब्बती संघर्ष के प्रतीक बने हुए हैं। 

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