नई दिल्ली: जाने-माने चुनावी विश्लेषक संजय कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रोक लगाने का आदेश दिया है। हाल में संजय कुमार ने महाराष्ट्र की मतदाता सूचियों में बड़ी संख्या में बदलाव और नाम जोड़ने आदि को लेकर एक ट्वीट किया था, जिस पर खासा विवाद मचा था। हालांकि, बाद में संजय कुमार ने बताया था कि उन्हें गलत डेटा मिला था। उन्होंने अपने पोस्ट को डिलीट करते हुए माफी भी मांगी थी।
संजय कुमार के वकील ने सोमवार को भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ के समक्ष यह मुद्दा उठाया। वकील ने कहा, 'यह बेदाग ईमानदारी वाले शख्स है। देश और दुनिया की तीस साल से सेवा की है। उनका बहुत सम्मान है। यह एक गलती थी। उन्होंने माफी मांगी। उन्होंने उसे डिलीट किया और माफी मांगी।' इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने संजय कुमार के खिलाफ कार्यवाही रोक का आदेश दिया।
संजय कुमार के किन दावों पर मचा था विवाद?
दिल्ली स्थित शोध संस्था सेंटर ऑफ स्टडीज फॉर डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) से जुड़े चुनाव विश्लेषक संजय कुमार ने दावा किया था कि पिछले साल लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बीच नासिक पश्चिम और हिंगना विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या क्रमशः 47 प्रतिशत और 43 प्रतिशत बढ़ी है। उन्होंने यह भी दावा किया कि रामटेक और देवलाली सीटों पर मतदाताओं की संख्या में क्रमशः 38 प्रतिशत और 36 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है।
संजय कुमार के इन दावों को आधार बनाते हुए कांग्रेस ने भी सत्तारूढ़ भाजपा और भारत के चुनाव आयोग पर मतदान में धोखाधड़ी के आरोप लगाए। कांग्रेस ने दावा किया कि कुमार का पोस्ट साबित करता है कि कि उनके आरोप सही हैं।
हालांकि, दो दिन बाद ही चुनाव विश्लेषक ने माफी मांगी और पोस्ट हटा दिए। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'महाराष्ट्र चुनावों से संबंधित ट्वीट् के लिए मैं माफ़ी माँगता हूँ। 2024 के लोकसभा और 2024 के विधानसभा चुनावों के आंकड़ों की तुलना करते समय त्रुटि हुई। पंक्ति में दिए गए आंकड़ों को हमारी डेटा टीम ने गलत पढ़ा था। अब ट्वीट हटा दिया गया है। मेरा किसी भी तरह की गलत सूचना फैलाने का कोई इरादा नहीं था।'
संजय कुमार के माफी के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर साधा था निशाना
संजय कुमार के द्वारा ट्वीट को हटाने के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोला। सत्तारूढ़ दल ने सीएसडीएस पर कांग्रेस के 'फर्जी बयान' को बढ़ावा देने के लिए असत्यापित आंकड़े जारी करने का भी आरोप लगाया।
दूसरी ओर भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) ने भी कहा कि वह सीएसडीएस को कारण बताओ नोटिस जारी करेगा। शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एक स्वायत्त संस्था ICSSR ने सीएसडीएस पर 'डेटा हेरफेर' और 'भारत के चुनाव आयोग की पवित्रता को कमजोर करने' का आरोप लगाया है। सीएसडीएस दरअसल ICSSR द्वारा वित्त पोषित शोध संस्थानों में से एक है।