गाय को महाराष्ट्र में मिला 'राज्यमाता' का दर्जा, विधानसभा चुनाव से पहले एकनाथ शिंदे सरकार का फैसला

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार ने कैबिनेट बैठक में गाय को राज्यमाता का दर्जा देने का फैसला लिया है। राज्य सरकार ने सोमवार को इस संबंध में एक आदेश भी जारी किया। इस फैसले को होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।

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गाय को महाराष्ट्र में मिला 'राज्यमाता' का दर्जा, विधानसभा चुनाव से पहले एकनाथ शिंदे सरकार का फैसला

गाय को महाराष्ट्र में मिला 'राज्यमाता' का दर्जा (फाइल फोटो- IANS)

मुंबई: महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। महाराष्ट्र सरकार ने गाय को 'राज्यमाता' का दर्जा दिया है। राज्य सरकार ने सोमवार को इस संबंध में एक आदेश भी जारी किया।

सोमवार को कैबिनेट बैठक में एकनाथ शिंदे सरकार ने गाय को 'राज्यमाता' का दर्जा देने का फैसला लिया। सरकार द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, "प्राचीन काल से ही गाय ने इंसान के दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैदिक काल से ही गायों के धार्मिक, वैज्ञानिक और आर्थिक महत्व को देखते हुए उन्हें "कामधेनु" के रूप में संबोधित किया जाता था। राज्य के कुछ हिस्सों में देशी गायें पाई जाती हैं। इसमें लाल कंधारी, देवनी, खिल्लार, डांगी और गवलाऊ नस्ल की गायें शामिल हैं। हालांकि, देशी गायों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। कृषि में देशी गायों के गोबर और मूत्र के महत्व को देखते हुए इनकी संख्या में गिरावट चिंता का विषय है।"

इसमें कहा गया, " किसानों को देशी गायों को पालने के ल‍िए प्रेरित करने को सरकार ने यह फैसला क‍िया है। वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में देशी गायों के महत्वपूर्ण स्थान, आयुर्वेद चिकित्सा में इनकी उपयोगि‍ता, गाय के दूध व घी का मानव आहार में महत्‍व, पंचगव्य उपचार प्रणाली और गाय के गोबर व गोमूत्र की जैविक खेती में उपयोगि‍ता को ध्यान में रखते हुए देशी गायों को अब से 'राज्यमाता' कहा जाएगा।"

सरकार ने कहा कि इस आदेश की डिजिटल कॉपी महाराष्ट्र सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद है।

बता दें कि महाराष्ट्र में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है। महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें आती है। पिछला विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 में संपन्न हुआ था। उस दौरान भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था और उन्हें पूर्ण बहुमत भी मिला था, लेकिन सरकार बनाने को लेकर दोनों दलों के बीच कलह हो गया और वे अलग हो गए।

(समाचार एजेंसी IANS की रिपोर्ट)

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