नई दिल्लीः देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शनिवार को कोरोना से पहली मौत की पुष्टि हुई है। 60 वर्षीय मृतक महिला पहले से ही कई बीमारियों से जूझ रही थी। कोरोना को लेकर लोगों के बीच में डर का माहौल पैदा कर दिया है। राजधानी में कोरोना के 104 मामले सक्रिय हैं। इनमें से 99 मामले पिछले एक सप्ताह के दौरान बढ़े हैं।

भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसकी संख्या तीन हजार के करीब पहुंच गई है। कोरोना के सबसे ज्यादा मामले राजधानी दिल्ली, महाराष्ट्र और केरल में देखे जा रहे हैं। बीते चार दिनों में कोरोना के मामलों मं भारी वृद्धि देखी गई है। 26 मई तक भारत में कोरोना के सक्रिय मामले 1,010 थे जो 30 मई तक बढ़कर 2,710 हो गए। 

ये आंकड़े स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हैं। 

केरल, महाराष्ट्र में सर्वाधिक मामले

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, केरल में 1,147, महाराष्ट्र में 424, दिल्ली में 294 और गुजरात में 223 मामले देखे गए हैं। वहीं तमिलनाडु में 148 जबकि कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में 148 और 116 मामले दर्ज किए गए हैं। 

इसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों में भी कोरोना पैर पसार रहा है। राजस्थान में 51, उत्तर प्रदेश में 42, हरियाणा में 20, मध्य प्रदेश में 10 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं दक्षिणी राज्यों में आंध्र प्रदेश में 16, गोवा में सात, तेलंगाना में तीन मामले दर्ज किए गए हैं। इसी तरह पंजाब और जम्मू-कश्मीर में 4-4, चंडीगढ़ में 3 मामले दर्ज किए गए हैं। 

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इसी तरह अरुणाचल प्रदेश में तीन और असम और मिजोरम में दो-दो मामले दर्ज किए गए हैं। 

कोविड-19 इंफेक्शन के कारण इस महीने कम से कम सात लोग मारे गए हैं। महाराष्ट्र में दो, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, पंजाब और तमिलनाडु से एक-एक लोगों की जान गई है। 

अधिकारियों के मुताबिक, मारे गए अधिकतर लोग वरिष्ठ नागरिक थे। वे सभी अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे। 

अधिकारियों ने क्या दी सलाह?

अधिकारियों ने लोगों को सलाह दी है कि इसके मामले हल्के हैं और घबराने की जरूरत नहीं है। 

इसी हफ्ते इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि एजेंसियां इस पर नजर बनाए हुए हैं कि क्या हो रहा है और सतर्क रहने पर भी जोर दिया है। 

भारत में कोरोना के अधिकतर मामले JN.1 वेरिएंट के देखे जा रहे हैं। परीक्षण किए गए नमूनों में 53 प्रतिशत JN.1 वेरिएंट के हैं और BA.2 के 26 प्रतिशत हैं। वहीं ओमिक्रान सबलाइनेज के 20 प्रतिशत हैं। ये आंकड़े इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम द्वारा जारी किए गए हैं। हालांकि इसके अधिकतर मामलों में NB.1.8.1 वेरिएंट का एक मामला देखा गया है जो ज्यादा संक्रामक होता है। इसके अलावा LF.7 वेरिएंट के कम से कम चार मामले दर्ज किए गए हैं।