कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने मंगलवार मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) साइट आवंटन मामले में जांच जारी रखने के आदेश दिए। मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती और अन्य के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच जारी रखने का निर्देश दिया गया। अदालत ने यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने लोकायुक्त की "बी-रिपोर्ट" यानी जांच बंद करने की रिपोर्ट को चुनौती दी थी। 

विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने लोकायुक्त को निर्देश दिया कि वह मामले की पूरी जांच करे और तब तक बी-रिपोर्ट पर कोई अंतिम आदेश न दे। साथ ही अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को भी इस रिपोर्ट के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज कराने की अनुमति दी है। मामले की अगली सुनवाई 7 मई 2025 को होगी।

फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लोकायुक्त पुलिस ने समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था। करीब दो घंटे तक चली पूछताछ के बाद पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उनके, उनकी पत्नी या अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला। इसके बाद बी-रिपोर्ट दाखिल कर दी गई थी।

क्या है पूरा मामला?

यह विवाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के पहले कार्यकाल के दौरान मुडा द्वारा किए गए जमीन आवंटन से जुड़ा है। आरोप है कि सिद्धारमैया ने पद का दुरुपयोग कर अपनी पत्नी के नाम पर अवैध तरीके से जमीन आवंटित कराई। रिपोर्टों की मानें तो पार्वती सिद्धारमैया को 14 साइटें दी गईं, जिनमें नियमों की अनदेखी की गई। यह आवंटन उस समय हुआ जब कर्नाटक में भाजपा की सरकार थी।