मुंबई: मुंबई की एक अदालत ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को अवमानना का नोटिस जारी किया है। यह नोटिस यूट्यूब (YouTube) द्वारा ध्यान फाउंडेशन और इसके संस्थापक योगी अश्विनी के खिलाफ एक अपमानजनक वीडियो को न हटाने पर दिया गया।
वीडियो का शीर्षक था “पाखंडी बाबा की करतूत” जिसे मार्च 2022 के कोर्ट आदेश के बावजूद अभी तक हटाया नहीं गया। यह नोटिस 21 नवंबर 2023 को बैलार्ड पियर कोर्ट ने जारी किया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, ध्यान फाउंडेशन ने इस मामले में अक्टूबर 2022 में अवमानना याचिका दायर की थी। उनका कहना है कि वीडियो में झूठे और बदनाम करने वाले आरोप लगाए गए थे, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को गहरा नुकसान पहुंचा।
फाउंडेशन ने गूगल पर जानबूझकर इस वीडियो को न हटाने और देरी की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया। उस ने कहा कि गूगल भारत के बाहर भी यह वीडियो होस्ट कर रहा है, जिससे उनकी छवि को और नुकसान हो रहा है।
अदालत ने गूगल की आईटी एक्ट की दलील खारिज कर दी
गूगल ने इस मामले में आईटी अधिनियम के तहत मध्यस्थ प्रतिरक्षा का दावा किया। उन्होंने कहा कि यह मामला मानहानि अधिनियम की धारा 69-ए के अंतर्गत नहीं आता और इसे दीवानी अदालत में उठाना चाहिए।
हालांकि, अदालत ने गूगल की दलील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि आईटी अधिनियम स्पष्ट रूप से आपराधिक अदालतों को इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप करने से नहीं रोकता।
अदालत ने अपने आदेश में क्या कहा
खबर के अनुसार, अदालत ने अपने आदेश में कहा कि तकनीकी आपत्तियां इस मामले को रोक नहीं सकतीं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तीन जनवरी 2024 को निर्धारित की है। इसके साथ ही गूगल को भारत में एक और एंटीट्रस्ट जांच का सामना करना पड़ रहा है।
गेमिंग कंपनी विंजो (WinZO) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) में शिकायत दर्ज कराई है। यह शिकायत गूगल पर एंड्रायड मोबाइल इकोसिस्टम और प्ले स्टोर में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के आरोपों से संबंधित है। इससे पहले साल 2022 में भी सीसीआई ने गूगल पर इसी तरह के आरोपों में दंड लगाया था।