बैंकों के ईएमआई की तरह गुजरात के भ्रष्ट सरकारी अधिकारी लोगों से ले रहे हैं किश्तों में घूस, 2021 से 2022 के बीच 86 पुलिस अधिकारी शामिल

एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिश्वतखोरी के मामलें जो 2021 में 145 थे वे 2022 में 169 हो गए हैं और इसमें कुल 2.23 करोड़ रुपए की शामिल हैं।

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Corrupt govt officials of Gujarat taking bribe from people in installments like EMI of banks 86 police officers involved between 2021 to 2022

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

गांधीनगर: गुजरात में भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों ने रिश्वत लेने के लिए एक नया तरीका निकाला है। ये भ्रष्ट अधिकारी घूस देने वाले लोगों को बैंक की किश्तों की तरह पेमेंट करने का विकल्प दे रहे हैं।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के अनुसार, इस तरह के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। एसीबी ने बताया कि इस साल में अब तक 10 ऐसे केस सामने आ चुके हैं जिसमें इस तरह से ईएमआई के जरिए घूस लेने की बात सामने आई है।

एसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भ्रष्ट अधिकारी उन लोगों को निशाना बनाते हैं जो लोग कानूनी जांच के दायरे में हैं या फिर उन्हें सरकारी मदद की जरूरत होती है। इस केस में वे लोगों से अधिक रिश्वत की मांग करते हैं और जब वे पूरे पैसों को एक साथ नहीं दे पाते है तो वे उन्हें किश्तों में घूस देने का विकल्प देते हैं।

घूस के ऑफर को नहीं जाने देना चाहते हैं अधिकारी

अधिकारी ने कहा है कि कई बार ऐसा होता है लोगों के पास घूस की रकम को अदा करने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते हैं, इस केस में भ्रष्ट सरकारी अधिकारी लोगों को किश्तों में घूस देने की बात कहते हैं।

भ्रष्ट सरकारी अधिकारी ये नहीं चाहते हैं कि लोगों के पास पैसे नहीं होने के कारण उनके हाथ से घूस का ऑफर जाए, इसलिए वे पैसों को किश्तों में बाटकर अपने लिए और रिश्वत देने वाले दोनों के लिए आसान बना देते हैं।

कुछ मामलों पर नजर

इसी साल मार्च में एक टैक्स घुटाले में फंसे शख्स से 21 लाख की घूस की मांग की गई थी। ऐसे में जब शख्स ने बताया कि वह एक साथ इतने पैसे नहीं दे सकता है तो भ्रष्ट अधिकारियों ने उसे इस रकम को किश्तों में अदा करने को कहा था।

ऐसे में शख्स पर वित्तीय दबाव को कम करने के लिए अधिकारियों ने दो लाख के नौ किश्तें और एक लाख की एक भुगतान करने का विकल्प दिया था। एक दूसरे केस में सूरत के एक स्थानी निवासी को खेती से जुड़े किसी मामले में 85 हजार का रिश्वत देने को कहा गया था। यह मामला इसी साल चार अप्रैल का है।

ऐसे में गांव वालों की वित्तीय सीमाओं को स्वीकार करते हुए अधिकारियों ने उन्हें 35 हजार अभी अदा करने को कहा और बाकी की रकम को तीन किश्तों में देने का विकल्प दिया था।

यही नहीं हाल में दो पुलिस वालों ने भी 10 लाख की रिश्वत को किश्तों में लेने को कहा था। ऐसे में उन लोगों ने पहले किश्त के तहत चार लाख लिया था और बाकी रकम को और किश्तों में देने को कहा था।

शिकायत के बाद ही हो सकती है कार्रवाई

एसीबी गुजरात के निदेशक और डीजीपी (कानून एवं व्यवस्था) शमशेर सिंह ने कहा है कि इस तरह के मामलों में आगे की कार्रवाई तभी की जा सकती है जब पहली किश्त अदा की जा और फिर शिकायत की जाए।

एक वरिष्ठ एसीबी अधिकारी ने कहा कि जिस तरीके से लोग किसी घर, कार या फिर कोई और किमती सामान को एक बार में पूरे पैसे देकर खरीद नहीं सकते हैं तो उनकी आसानी के लिए ईएमआई बना दी जाती है। उनके अनुसार, ठीक इसी तरीके से भ्रष्ट अधिकारी घूस के पैसों को लेने के लिए ईएमआई का विकल्प दे रहे हैं।

हाल के कुछ केस में भी इस तरह के किश्तों में रिश्वत की मांग की गई है। एक सीआईडी ​​इंस्पेक्टर ने जब्त किए हुए सामानों के लिए 50 हजार की मांग की थी जिसे 10 हजार के पांच किश्तों में जमा करने को कहा था।

यही नहीं गुजरात जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के एक द्वितीय श्रेणी अधिकारी ने एक ठेकेदार से एक लाख 20 हजार की रिश्वत मांगी थी और उसे 30 हजार के चार भुगतानों में अदा करने को कहा था।

क्या कहते हैं आंकड़े

मार्च 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात में हो रहे भ्रष्टाचार में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। गुजरात पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के पास जिन मामलों की रिपोर्ट की गई है उसमें 2021 के मुकाबले 2022 में 16.5 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिश्वतखोरी के मामलें जो 2021 में 145 थे वे 2022 में 169 हो गए हैं और इसमें कुल 2.23 करोड़ रुपए की शामिल हैं।

गुजरात के लिए यह एक बड़ी चिंता की बात है क्योंकि इन मामलों में गुजरात पुलिस के 86 अधिकारियों के इसमें शामिल होने की बात सामने आई है। साल 2023 में गुजरात पुलिस 2019 के बाद से लगातार पांचवें वर्ष रिश्वतखोरी के सबसे अधिक मामलों वाले विभाग के रूप में उभर कर सामने आई है।

क्या कहता है कानून

भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 में कहा गया है कि लोक सेवकों के लिए अपने सार्वजनिक कर्तव्यों को अनुचित तरीके से या बेईमानी से करने या उन्हें पूरा न करने के लिए किसी भी "अनुचित लाभ" को स्वीकार करना, प्राप्त करने का प्रयास करना या स्वीकार करने के लिए सहमत होना गैरकानूनी है।

इसके लिए सजा और जुर्माना भी लग सकता है। ऐसे में इस तरह के अपराध में शामिल अधिकारियों को दोष साबित होने पर तीन साल तक की सजा और असीमित जुर्माना भी लग सकता है।

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