अयोध्या वाली गलती दोहराएगा गांधी परिवार? खड़गे के बयान के बाद महाकुंभ स्नान पर संशय

मल्लिकार्जुन खड़गे ने महाकुंभ में पवित्र स्नान करने वाले BJP नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि क्या गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर हो सकती है? हालांकि, उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी की आस्था को ठेस नहीं पहुंचाने का नहीं है।

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Rahul priyanka

Rahul priyanka Photograph: (Social Media)

नई दिल्ली: महाकुंभ को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के द्वारा दिए गए बयान विवादों में है। इसके बावजूद उनकी पार्टी के कई नेताओं ने पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई। ऐसे में अब सबकी नजरें गांधी परिवार के अगले कदम पर जा टिकी है। दरअसल, बीते दिनों रैली के दौरान खड़गे ने यह सवाल उठाया था कि क्या गंगा में पवित्र स्नान करने से देश में गरीबी खत्म हो सकती है।

हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। उनका दावा था कि उन्होंने बीजेपी नेताओं की आलोचना के लिए ऐसे बयान दिए थे।

अखिलेश यादव के महाकुंभ में लगाई डुबकी 

उनका ये बयान तब आया जब INDIA गठबंधन के सहयोगी अखिलेश यादव और उनकी पत्नी ने सबसे पहले कुंभ में डुबकी लगाई। हाल ही में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, उनके बेटे, राजस्थान कांग्रेस के कद्दावर नेता सचिन पायलट सहित कई कांग्रेसी स्नान करने के लिए प्रयागराज की यात्रा कर चुके हैं।

ऐसे में कहा जा सकता है कि वे सभी समझते और जानते हैं कि 'हिंदू आस्था' एक ऐसी चीज़ है जिसे वे हल्के में नहीं ले सकते। वहीं, अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान की गई गलती को दोहराया नहीं जा सकता जब कांग्रेस ने इसे सरकारी कार्यक्रम बताकर समारोह में हिस्सा नहीं लिया था। हालांकि पार्टी ने कहा कि वह बाद में मंदिर का दौरा करेगी, लेकिन अभी तक किसी भी हाई-प्रोफाइल नेता को अयोध्या में नहीं देखा गया है।

महाकुंभ पर गांधी परिवार की चुप्पी 

कांग्रेस के सूत्र गांधी परिवार के महाकुंभ में जाने पर चुप हैं। 2001 में सोनिया गांधी को गंगा में पवित्र स्नान करते हुए देखा गया था। उस समय भाजपा उनके धर्म और उनकी जाति को लेकर सवाल उठाती थी। प्रियंका गांधी 11 फरवरी 2021 को प्रयागराज आई थीं तो उन्होंने संगम में स्नान लगाई थी। प्रियंका ने बोट से प्रयागराज से वाराणसी तक की यात्रा की थी। तब वह संगम तट पहुंची थीं। संगम में डुबकी लगाने के बाद पूजा-पाठ किया था। वे पुरखों की कर्मस्थली प्रयागराज के आनंद भवन भी गई थीं।

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