नई दिल्लीः शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना रिकॉर्ड आठवां केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया जिसमें कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गईं। बजट का एक प्रमुख आकर्षण वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए कर राहत थी, जिसमें 12 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त, बिहार को प्रमुख लाभार्थी के रूप में देखा गया, जहां राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना और बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना जैसी घोषणाएं की गईं।

जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए नेताओं ने इस बजट की सराहना की, वहीं विपक्षी नेताओं ने इसे आगामी दिल्ली और बिहार चुनावों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित करार दिया। 

विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बजट को लेकर अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि इस बजट पर एक मुहावरा बिलकुल सटीक बैठता है - नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली ! उन्होंने कहा, पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने मध्यम वर्ग से ₹54.18 लाख करोड़ का कर वसूला है और अब वह 12 लाख तक का जो छूट दे रहें हैं, उसके हिसाब से वित् मंत्री खुद कह रहीं हैं कि साल में ₹80,000 की बचत होगी। यानि हर महीने मात्र ₹6,666 की! खड़गे ने आगे लिखा, पूरा देश महँगाई और बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है, पर मोदी सरकार झूठी तारीफे बटोरने पर उतारू है। इस "घोषणावीर" बजट में अपनी खामियां छिपाने के लिए मेक इन इंडिया को राष्ट्रीय विनिर्माण मिशनबना दिया गया है। बाकी सारी घोषणाएं लगभग ऐसी हैं। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बजट 2025-26 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस बजट का अर्थव्यवस्था पर वास्तविक प्रभाव समय के साथ ही पता चलेगा। उन्होंने कहा, "अर्थव्यवस्था चार आपातकालीन संकटों का सामना कर रही है - वास्तविक वेतन में स्थिरता, जनसामान्य की खपत में कमी, निजी निवेश की सुस्ती और जटिल जीएसटी प्रणाली। यह बजट इन समस्याओं का समाधान नहीं करता। केवल आयकरदाताओं को राहत दी गई है। इस राहत का अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह अभी देखना बाकी है।"

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने केंद्रीय बजट 2025-26 को "बिहार का बजट" करार दिया। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, "क्या यह बिहार का बजट था या भारत संघ का? क्या आपने वित्त मंत्री के भाषण में किसी अन्य राज्य का नाम सुना?" मनीष तिवारी ने आगे कहा कि जब आप देश की बजट की बात करते हैं तो सारे देश के लिए उसमें कुछ न कुछ होना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि जिन बैसाखियों पर सरकार चल रही है, उन बैसाखियों को सिर रखने के लिए उन्होंने बाकी मुल्क का जो विकास है, दांव पर लगा दिया है।

कांग्रेस नेता कर्ति चिदंबरम ने बजट की आलोचना करते हुए कहा, "इस बजट में सिर्फ चुनावी लाभ की योजनाओं का ख्याल रखा गया है। पहले की घोषणाओं का क्या हुआ? ये प्रस्ताव अगले चुनाव के बाद लागू होंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि बिहार पर अत्यधिक फोकस किया गया है, जो स्पष्ट रूप से चुनावी राजनीति का हिस्सा है।

बजट राजनीतिक स्वार्थ का अधिक और देशहित का कम: मायावती

बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती ने भी बजट की आलोचना की। बसपा प्रमुख ने कहा कि देश में महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क, पानी, शिक्षा और सुख-शांति का अभाव है, जिसके कारण लगभग 140 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत में लोगों का जीवन काफी परेशानियों से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं का समाधान केन्द्रीय बजट के माध्यम से होना बेहद आवश्यक है।

मायावती ने आगे कहा, "हालांकि, वर्तमान भाजपा सरकार का बजट, कांग्रेस के बजट की तरह, राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित प्रतीत होता है, जबकि जन और देशहित की प्राथमिकता इससे गायब है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर इस सरकार के तहत लोगों का जीवन क्यों लगातार कठिन, बदहाल और दुखी है?" उन्होंने यह भी जोड़ा कि 'विकसित भारत' का सपना तभी पूरा होगा जब यह बहुजन समाज के हितों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा।

 सरकार बजट के साथ महाकुंभ में जान गँवानेवालों का भी आँकड़ा देः अखिलेश

 समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव समेत उनके कई सांसदों ने महाकुंभ मेला में हुई भगदड़ की घटनाओं पर चर्चा की मांग करते हुए 'सांकेतिक' वॉकआउट किया।वॉकआउट के बाद अखिलेश यादव ने संवाददाताओं से कहा, "महाकुंभ मेला में हुई घटना से अधिक महत्वपूर्ण कोई और विषय नहीं हो सकता। सरकार ने अब तक मृतकों और लापता लोगों की सही जानकारी नहीं दी है।"

उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा, "क्या यह 'विकसित भारत' की परिभाषा है कि हिंदू धर्म के सबसे बड़े मेले में इतने लोग मारे जाएं और सरकार उसे नजरअंदाज करे?" सरकार बजट के आँकड़े के साथ महाकुंभ में जान गँवानेवाले श्रद्धालुओं के आँकड़े दे। सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब संतों ने शाही स्नान से मना कर दिया। सरकार को सेना को बुलाना चाहिए था। हिंदू समाज के लोग मारे गए हैं, और सरकार नींद में है।

तेजस्वी यादव ने  'जुमलेबाजी बजट' करार दिया

तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार के आम बजट को "जुमलेबाजी बजट" करार देते हुए कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है और न ही गांव, ग्रामीण और गरीबों के लिए कुछ विशेष किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार को कुछ नहीं मिला, जबकि राज्य सरकार और लोग विशेष पैकेज की मांग कर रहे थे, लेकिन बजट में बिहार के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है।

वहीं, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने बजट की सराहना करते हुए इसे आमजनों, गरीबों और किसानों के लिए शुभ संकेत बताया। उन्होंने कहा कि बिहार को मखाना और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की सौगात मिलने से राज्य के युवाओं को रोजगार और किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा।

शिवसेना (UBT) के नेता अरविंद सावंत ने भी बजट की आलोचना करते हुए कहा, "यह बजट दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक खेल है।"

वहीं तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 में आम आदमी के लिए कुछ ठोस नहीं था। उन्होंने कहा, "यह बजट स्पष्ट रूप से बिहार चुनावों के लिए तैयार किया गया है। पिछले साल, फोकस आंध्र प्रदेश और बिहार पर था। अब, जब आंध्र प्रदेश में अगले 4.5 साल तक चुनाव नहीं होंगे, तो बिहार पर ध्यान केंद्रित किया गया है। आम आदमी के लिए कुछ भी ठोस नहीं है।"

शिरोमणि अकाली दल (SAD) की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने बजट को "किसान विरोधी" करार दिया। उन्होंने कहा, "बिहार और अन्य राज्यों के चुनावी हितों को ध्यान में रखते हुए, किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज किया गया। पंजाब के किसानों को इस बजट में कोई राहत नहीं मिली।"

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का बचाव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए बजट को "व्यापक दृष्टिकोण" से तैयार किया और इसे देश की आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वित्त मंत्री की सराहना करते हुए कहा, "यह बजट सभी वर्गों के लिए समग्र दृष्टिकोण लेकर आया है और सभी क्षेत्रों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।"

पीएम मोदी, अमित शाह, गडकरी ने की सराहना

इस बजट में सरकार ने वैश्विक आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए विकास और वित्तीय जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे "देश की समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम" बताया। सरकार ने विशेष रूप से बिहार और अन्य चुनावी राज्यों पर फोकस किया, जो विपक्ष ने "राजनीतिक फायदा" लेने के रूप में देखा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट 2025 को भारत की मजबूत नींव बताते हुए इसे हर भारतीय के सपनों को पूरा करने वाला और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम कहा। उन्होंने कहा, यह बजट जनता के लिए है और निवेश लाएगा, साथ ही रोजगार सृजन करेगा। इसमें किसानों के लिए कई अहम घोषणाएं की गईं, जैसे कि किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा 5 लाख रुपये तक बढ़ाई गई। उन्होंने इसे "नागरिकों का जेब भरने वाला बजट" बताया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी बजट की सराहना की। शाह ने इसे आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में रोडमैप बताया, वहीं नड्डा ने इसे 'विकसित भारत' का प्रतीक कहा। गडकरी ने इसे समावेशी विकास और निवेश पर आधारित बताया। राज्य नेताओं ने भी इसे सर्वस्पर्शी और विकासोन्मुखी बताते हुए किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए खास प्रावधानों का स्वागत किया।