वक्फ अधिनियम के तहत वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों की एंट्री पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। वहीं, अब कोर्ट के अंतरिम आदेश पर केंद्र सरकार ने चुप्पी तोड़ी है। मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का सख्त विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत को वैधानिक प्रावधानों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक लगाने का कोई अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ में गैर मुस्लिमों की एंट्री पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश जारी किया था। कोर्ट के अनुसार, केंद्र के जवाब देने तक वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री नहीं होगी। आज इसी मामले पर कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने साफ शब्दों में कहा कि यह एक वैधानिक मामला है, जिसमें कोर्ट को रोक लगाने का अधिकार नहीं है।
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा, 'संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर संवैधानिकता की धारणा लागू होती है। ऐसे में अंतरिम रोक शक्ति संतुलन के सिद्धांतों के खिलाफ है। यह कानून संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों पर बनाया गया है, जिसके बाद दोनों सदनों में कई घंटों की बहस हुई और फिर इस कानून को पास किया गया था।
अंतरिम आदेश के जरिए कोई भी सरंक्षण नहीं
केंद्र सरकार के अनुसार, निस्संदेह सुप्रीम कोर्ट के पास संवैधानिकता की जांच करने का अधिकार है। हालांकि, अतंरिम चरण में किसी भी प्रावधान पर रोक लगाना सही नहीं है। केंद्र सरकार का कहना है कि वक्फ अधिनियम को लेकर कोर्ट में जो भी याचिकाएं दायर हैं, उनमें किसी भी व्यक्तिगत मामले में अन्याय की शिकायत नहीं की गई है। इसलिए अंतरिम आदेश के जरिए कोई भी सरंक्षण नहीं दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में दायर हैं 5 याचिकाएं
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय में वक्फ अधिनियम को चुनौती देने के लिए पांच याचिकाएं दायर की गईं थीं। इनमें गैर मुस्लिम सदस्यों की वक्फ में परिषद में एंट्री और केवल मुसलमानों द्वारा ही वक्फ को दान किए जाने के प्रावधानों को चुनौती मिली थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।