चेन्नईः तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के लोक सभा में दिए गए बयान को लेकर पलटवार किया है। धर्मेंद्र प्रधान ने बजट सत्र के दौरान लोकसभा में तमिलनाडु राज्य सरकार को पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया योजना को लेकर लागू करने के मुद्दे पर बेईमान कहा था। इसके साथ ही इसे छात्रों का भविष्य बर्बाद करने वाला करार दिया था।
एमके स्टालिन ने प्रधान के इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इसके लिए उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट लिखी जिसमें प्रधान के बयान की निंदा करते हुए वह एक घमंडी राजा की तरह बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधान ने तमिलनाडु के लोगों का अनादर किया है और उसे अनुशासित करने की आवश्यकता है।
एमके स्टालिन ने एक्स पर लिखा कि "खुद को राजा समझने वाले और अहंकार से बोलने वाले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को अपनी जुबान पर नियंत्रण रखना चाहिए।"
धर्मेंद्र प्रधान के लोकसभा में इस बयान के बाद सदन आधे घंटे के लिए स्थगित हो गया।
लोकसभा में सवाल के जवाब में क्या बोले प्रधान?
पीएम श्री योजना के बारे में एक सवाल के जवाब में प्रधान ने कहा कि डीएमके के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजना के कार्यान्वयन पर अपना रुख बदल दिया है जिसमें केंद्र, राज्य या स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित स्कूलों को मजबूत करने की परिकल्पना की गई थी।
संबंधित राज्य को केंद्र सरकार के साथ एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना होता है कि वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करेगा। इसके बदले में केंद्र सरकार धन उपलब्ध कराती है।
प्रधान ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने पहले ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। लेकिन अब उन्होंने अपना मत बदल लिया है। उन्होंने कहा बहुत से गैर भाजपा शासित प्रदेशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश प्रमुख हैं।
प्रधान ने कहा "वे बेईमान हैं और वे तमिलनाडु के बच्चों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। वे राजनीति कर रहे हैं।" केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने पहले इस योजना पर सहमति जताई थी। उन्होंने कहा कि डीएमके के कई सांसद उनसे मिलने आए थे और इस बात से अवगत कराया था।
प्रधान ने दावा किया कि "अब वे अपनी बात से मुकर रहे हैं और बच्चों के भविष्य के साथ बुरा व्यवहार कर रहे हैं। वे लोगों को गुमराह कर रहे हैं और तमिलनाडु के छात्रों के साथ अन्याय कर रहे हैं। वे अलोकतांत्रिक हैं... "
प्रधान ने कहा कि स्टालिन भी शुरू में सहमत थे लेकिन बाद में वे पलट गए। वे सिर्फ राजनीति करना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज 10 मार्च है और मार्च महीने में पीएम श्री के ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए 20 दिन बचे हैं।
डीएमके सांसदों ने दर्ज कराया विरोध
केंद्रीय मंत्री के इस बयान के बाद डीएमके सांसदों ने भारी विरोध दर्ज कराया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आंदोलन शुरु किया।
स्टालिन ने अपनी पोस्ट में लिखा कि केंद्र सरकार ने तमिलनाडु को फंड न देकर धोखा दिया है। संसद में एएनआई से बात करते हुए डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने कहा कि धर्मेंद्र प्रधान ने यह कहकर झूठ बोला कि डीएमके सरकार हस्ताक्षर के लिए सहमत हो गई है। डीएमके कभी भी एनईपी या तीन-भाषा नीति से सहमत नहीं थी।
वहीं, एक और सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने कहा कि डीएमके सांसदों ने मुद्दे को तब उठाया जब केंद्र सरकार ने फंड आवंटित नहीं किया।
प्रधान ने वापस लिए शब्द
कनिमोझी को जवाब देते हुए प्रधान ने कहा, "मेरी सम्मानित सहकर्मी, मेरी सबसे प्रिय बहनों में से एक और वरिष्ठ सदस्य माननीय कनिमोझी ने दो मुद्दे उठाए हैं। एक बिंदु पर उन्होंने कहा है कि मैंने एक ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया है जिसका इस्तेमाल मुझे तमिलनाडु के सदस्यों, तमिलनाडु सरकार और तमिलनाडु के लोगों के लिए नहीं करना चाहिए था।"
उन्होंने कहा, "इसमें कोई गड़बड़ी न हो। मैं इसे वापस लेता हूं। अगर इससे किसी को ठेस पहुंची है तो मैं अपना बयान वापस लेता हूं। मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है।"