नई दिल्लीः दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने फीस वृद्धि को लेकर छात्रों व अभिभावकों को परेशान करने वाले संस्थानों के खिलाफ कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। मंगलवार को रेखा गुप्ता ने कहा कि ऐसे कृत्य स्वीकार्य नहीं हैं और इसके सख्त परिणाम भुगतने होंगे। 

समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में रेखा गुप्ता ने कहा कि उनके पास कुछ पेरेंट्स शिकायत लेकर आ रहे हैं। सीएम गुप्ता ने कहा अभिभावकों की शिकायतें काफी गंभीर हैं। 

इस दौरान उन्होंने कहा "किसी भी स्कूल को किसी अभिभावक या बच्चे को परेशान करने का कोई अधिकार नहीं है। या स्कूल से निकालने की धमकी दें या फिर अधिक फीस बढ़ाएं।"

उन्होंने आगे कहा "नियम और कानून बने हुए हैं और उनका पालन करना चाहिए। अगर कोई स्कूल इन नियमों का उल्लंघन करता दिखा तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हमने पहले ही कुछ स्कूलों को नोटिस भेजा है जिनकी शिकायतें आई हैं।"

सीएम रेखा गुप्ता की यह टिप्पणी दिल्ली के एक निजी स्कूल के खिलाफ फीस वृद्धि के बाद बढ़ते आरोपों के आक्रोश को लेकर आई है। मंगलवार को एक जनसंवाद कार्यक्रम के बीच सीएम के पास एक निजी स्कूल क्वीन मेरी को लेकर अभिभावकों ने शिकायत दर्ज कराई। अभिभावकों ने स्कूल के खिलाफ फीस वृद्धि और छात्रों को निकाले जाने का आरोप लगाया। 

सीएम ने इस समस्या पर संबंधित अधिकारियों को तुरंत जांच के आदेश दिए और कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए। सीएम गु्प्ता ने कहा कि दिल्ली की सरकार पारदर्शिता, समान अवसर और शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमने किसी भी प्रकार के अन्याय, शोषण और अनियमितताओं के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। 

हालांकि अभी फीस वृद्धि को लेकर अभिभावकों और छात्रों को परेशान करने वाली शिकायतों की जांच जारी है। इस बीच अभिभावकों और नागरिकों के समूह शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा के लिए जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं। 

अभिभावकों ने लगाए थे गंभीर आरोप

गौरतलब है कि बीते कुछ हफ्तों में द्वारका डीपीएस द्वारका में छात्रों के अभिभावक आगे आए हैं और स्कूल के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि उनके बच्चों को सार्वजनिक रूप से परेशान किया गया और इसे "अवैध और मनमाना" करार दिया। 

अभिभावकों के मुताबिक, जिन बच्चों ने फीस नहीं जमा की, उन्हें नियमित कक्षाओं और स्कूल पुस्तकालय से बाहर कर दिया गया। उन पर पूरी तरह से निगरानी रखी गई जिससे बच्चे अपने क्लासमेट्स से भी बात नहीं कर सकते थे और यहां तक कि उन्हें वाशरूम और पीने का पानी भी नहीं दिया गया था। 

इसके साथ ही अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि जब स्कूल के प्रिंसिपल और प्रशासन से इस बारे में बात करने की कोशिश की गई तो कोई उत्तर नहीं मिला। 

रविवार को इस संबंध में अभिभावकों द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी आयोजित की गई थी जिसमें उन्होंने मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया और इस बारे में पूरी जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने कुछ मांगे भी रखीं- 

इस मामले की जांच के लिए डीएम द्वारा जांच रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए। इन आरोपों के खिलाफ सरकार से सख्त से सख्त कदम उठाने की बात की गई थी। 

इसके साथ ही अभिभावकों ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी लड़ाई किसी एक स्कूल से नहीं बल्कि सभी शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों की हितों की रक्षा के लिए है। हालांकि इन आरोपों के संबंध में स्कूल की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।