नई दिल्ली: गौतम अदानी और उनके भतीजे सागर अदानी को अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के समन भेजने वाली मीडिया के खबरों पर रक्षा विशेषज्ञ कंवल सिब्बल ने सवाल उठाया।

रविवार को उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट कर कहा कि न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट में गौतम अदानी और सागर अदानी को उनके अहमदाबाद स्थित आवास पर समन भेजने की बात कही गई। कंवल सिब्बल ने कहा कि एसईसी के इस तरह के समन का कोई मतलब नहीं बनता।

रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत कोई भी विदेशी संस्था जैसे एसईसी भारत में किसी भारतीय नागरिक को सीधे समन नहीं भेज सकती।

इसके लिए उन्हें 1965 के हेग कन्वेंशन और भारत-अमेरिका के बीच पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (MLAT) के तहत भारत सरकार के माध्यम से इस तरह की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। उन्होंने अपने पोस्ट में न्यूज एजेंसी और अखबारों को सलाह देते हुए कहा कि इस तरह की रिपोर्ट चलाने से पहले उन्हें इस बारे में पता कर लेना चाहिए।

कंवल सिब्बल ने पहले भी इन आरोपों पर उठाया था सवाल

इससे पहले कंवल सिब्बल ने अदानी ग्रुप पर अमेरिकी अदालत द्वारा भारतीय अधिकारियों को कथित रिश्वत देने को लेकर आरोप तय किए जाने पर भी सवाल उठाया था। सिब्बल ने इस कदम को गलत और अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रक्रियाओं के खिलाफ बताया था।

कंवल सिब्बल ने अमेरिकी अदालत की कार्रवाई को 'कतई मनमानी' और 'अमेरिका की ताकत का घटिया इस्तेमाल' बताया था। उन्होंने पोस्ट में लिखा था, "यह indictment भारत की धरती पर किए गए कृत्यों के लिए भारतीय नागरिक के खिलाफ किया गया है... अपनी हद से बाहर जाकर किया गया अमेरिका का यह कृत्य अन्य देशों की संप्रभुता का उल्लंघन करता है।"

रक्षा विशेषज्ञ ने इन आरोपों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अमेरिकी अभियोजकों ने भारत में यह जांच कैसे की होगी क्योंकि यह भारतीय कानून और राष्ट्रीय संप्रभुता का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने लिखा, "अमेरिकी अभियोजक ने भारत में मामले की जांच कैसे की...?"

गौतम अदानी पर क्या आरोप लगे हैं

एसईसी ने गौतम अदानी और उनके भतीजे सागर अदानी को नोटिस जारी किया है। एसईसी ने दोनों पर लगे आरोपों पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए तलब किया है। अमेरिकी शेयर बाजार रेगुलेटर ने दोनों को समन भेज कर 21 दिन में जबाव देने को कहा है।

आरोप है कि गौतम अदानी और सागर अदानी समेत सात अन्य लोगों ने सोलर एनर्जी कांट्रैक्ट को हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को साल 2020 से 2024 के बीच 2200 करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी। हालांकि अदानी ग्रुप ने अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजी) और एसईसी के आरोपों का खंडन किया है और “निराधार” बताया है।