पाकिस्तान के पांच आतंकियों पर प्रतिबंध के भारत के अनुरोध पर चीन लगा चुका है अड़ंगा: रिपोर्ट

UN में चीन अक्सर पाकिस्तान की मदद करता रहा है। इकॉनामिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने पांच आतंकियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की सूची में डालने की मांग पर अड़ंगा लगाया है।

CHINA BLOCK INDIA REQUEST OF BAN ON FIVE PAKISTANI TERRORISTS

चीन यूएन में पाकिस्तान की करता रहा है मदद Photograph: (आईएएनएस)

नई दिल्लीः चीन ने अभी तक कथित तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के पांच आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने और उन्हें वैश्विक आतंकवादी के रूप में घोषित करने के भारत के प्रस्ताव को रोकने का काम किया है। 

द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले महीने पहलगाम हमले में शामिल लश्कर की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) पर प्रतिबंध लगाने के भारत के अनुरोध पर भी सुरक्षा परिषद में चीन ने कई बार अड़ंगा लगाया है।

अखबार की रिपोर्ट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा तैयार एक डोजियर का हवाला दिया गया है, जिसमें अब्दुल रऊफ असगर, साजिद मीर, अब्दुर रहमान मक्की, तल्हा सईद, शाहिद महमूद रहमतुल्लाह पर प्रतिबंधों को रोकने में बीजिंग की संलिप्तता की ओर इशारा किया गया है। यह सभी पांच आतंकवादी भारत में कई आतंकी हमलों में शामिल रहे हैं। इसमें मुंबई का 26/11 हमला, 2019 का पुलवामा हमला, 2016 का पठानकोट हमला, 2001 में भारत की संसद पर किया गया हमला और आईसी 814 फ्लाइट का अपहरण शामिल है।

आतंकवादियों को बचाने में चीन की भूमिका

रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल रऊफ अजहा को भारत और अमेरिका ने साथ मिलकर जुलाई 2022 में वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करने के लिए पहले प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव को चीन ने 10 मई 2023 तक तीन महीने के लिए रोक दिया था। इसके बाद चीन के आपत्ति की वजह से इस प्रस्ताव पर स्थायी तौर पर रोक लग गई।

जैश कमांडर अजहर जैश ए मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर का भाई था और 1999 में कांधार हाईजैक का मास्टरमाइंड है। उसने भारत की धरती पर आतंकवाद को पनपने देने के लिए पाकिस्तान में आतंकी कैंप बनाए थे। वह 2001 में संसद में हुए हमले और 2016 के पठानकोट हमले का भी साजिशकर्ता रहा है। वहीं, भारतीय जांच एजेंसियों ने 2019 में हुए पुलवामा हमले में भी साजिशकर्ता की भूमिका पाई है। 

वहीं, साजिद मीर को भारत ने वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रयास किया था जिसे चीन ने 2023 में इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। एनआईए के डोजियर में मीर का नाम 26/11 हमले में भी जोड़ा गया है। दिलचस्प बात यह है कि उसे मई 2022 में आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में लाहौर में गिरफ्तार किया गया था और तीन सप्ताह के भीतर त्वरित सुनवाई में उसे दोषी ठहराया गया था।

मीर को 30 अगस्त 2012 को अमेरिका द्वारा विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित किया गया था। वह एफबीआई की सर्वाधिक वांछित सूची में भी है।

अब्दुल रहमान मक्की को घोषित किया गया आतंकी

चीन ने साल 2022 में मक्की को भी संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में डालने के भारत के प्रयास को रोका था। हालांकि, 2023 में इसने हटा लिया था और मक्की को प्रतिबंधित आतंकियों की सूची में डाला गया था। उस पर आरोप है कि लश्कर-ए-तैयबा के लिए फंड जुटाने का काम करता था। 

भारत और अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा के नेता हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद पर भी चीन ने 2022 से प्रतिबंध लगाने की मांग को खारिज किया था। तल्हा पर भी आरोप है कि वह लश्कर-ए- तैयबा के लिए भर्ती, फंड जुटाने का काम करता था। अधिकतर भर्ती वह भारतीयों और अफगानिस्तान की धरती पर करता था। 

शाहिद महमूद रहमतुल्ला फलाह-ई-इंसानियत में दूसरे नंबर पर है। यह संगठन भी लश्कर-ए-तैयबा का संगठन माना जाता है। चीन ने उसके लिए लाए गए प्रतिबंध पर भी 2022 में रोक लगाई थी। वह भारत में देश विरोधी गतिविधियों के लिए काम करता था। 

बताते चलें कि भारत ने टीआरएफ पर प्रतिबंध को लेकर भी तीन प्रस्ताव अभी तक दिए हैं। पहल प्रस्ताव दिसंबर 2023 में और फिर मई 2024 में विस्तृत प्रस्ताव दिया गया। इसके बाद फरवरी 2025 के ताजा रिपोर्ट के लिए दिसंबर 2024 में प्रस्ताव दिया गया था। चीन ने तीनों प्रस्तावों पर अड़ंगा लगाया।

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