नई दिल्लीः चीन ने सोमवार को भारत-चीन संबंधों में संवाद को प्राथमिकता देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान की सराहना की। बीजिंग ने इसे "सकारात्मक" करार दिया और कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग ही साझा सफलता का सही मार्ग है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "हाल के महीनों में दोनों पक्षों ने अपने नेताओं द्वारा तय किए गए महत्वपूर्ण सहमति बिंदुओं को गंभीरता से लागू किया है, विभिन्न स्तरों पर संपर्क और व्यावहारिक सहयोग को बढ़ाया है और कई सकारात्मक परिणाम हासिल किए हैं।"

उन्होंने कहा, "चीन और भारत के बीच सहयोग ही एकमात्र सही विकल्प है। दोनों देशों का ‘ड्रैगन और हाथी’ की तरह साझेदारी में आगे बढ़ना ही सही दिशा है।" माओ निंग ने यह भी कहा कि चीन भारत के साथ मिलकर काम करने और दोनों देशों के नेताओं की सहमति को लागू करने के लिए तैयार है। उन्होंने दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ को सहयोग बढ़ाने के अवसर के रूप में उपयोग करने की बात कही।

पीएम मोदी बोले, 'विवाद नहीं, संवाद जरूरी'

अमेरिकी पॉडकास्टर और एआई शोधकर्ता लेक्स फ्रिडमैन को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने भारत-चीन संबंधों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि पड़ोसियों के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन इन मतभेदों को विवाद में बदलने से रोकना जरूरी है।

पीएम मोदी ने कहा, "2020 में सीमा पर हुई घटनाओं से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था। लेकिन मेरी हालिया मुलाकात के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ सीमावर्ती इलाकों में स्थिति सामान्य हो रही है। हम 2020 से पहले जैसी स्थिति बहाल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।"

गौरतलब है कि मई 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते काफी बिगड़ गए थे। हालांकि, पिछले साल अक्टूबर में दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता किया था। उसी महीने रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी। दोनों नेताओं ने सीमा विवाद सुलझाने और द्विपक्षीय संवाद को फिर से सक्रिय करने पर सहमति जताई थी।

'मतभेद स्वाभाविक, लेकिन रिश्ता मजबूत रहना चाहिए'

शी जिनपिंग के साथ अपनी बातचीत पर पीएम मोदी ने कहा कि रिश्तों में कभी-कभी मतभेद आना स्वाभाविक है, लेकिन यह रिश्ते की मजबूती को प्रभावित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, "दो पड़ोसी देशों के बीच सब कुछ परफेक्ट नहीं हो सकता। हम विवाद के बजाय संवाद को महत्व देते हैं क्योंकि स्थिर और सहयोगात्मक संबंधों की नींव संवाद से ही बनती है।"

पीएम मोदी ने माना कि पांच साल के अंतराल के कारण दोनों देशों के संबंधों में फिर से विश्वास, ऊर्जा और उत्साह लौटने में समय लगेगा। उन्होंने कहा, "सीमा विवाद पुराना है, लेकिन धीरे-धीरे विश्वास और उत्साह लौटेगा। इसमें समय लगेगा, लेकिन यह मुमकिन है।"

'भारत-चीन का संघर्ष का इतिहास नहीं'

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन के बीच कोई वास्तविक युद्ध का इतिहास नहीं है। उन्होंने कहा, "दोनों देशों की प्राचीन सभ्यताएं एक-दूसरे से सीखती रही हैं और दुनिया के लिए योगदान देती रही हैं। इतिहास बताता है कि एक समय भारत और चीन मिलकर दुनिया की जीडीपी का 50% हिस्सा थे। यह भारत की ताकत का प्रमाण है।"