बिहार से अवैध तरीके से उत्तर प्रदेश ले जाए जा रहे 95 बच्चों को बचाया गया है। उत्तर प्रदेश बाल आयोग ने यह जानकारी दी है। अयोध्या बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष सर्वेश अवस्थी ने शुक्रवार को बताया, ‘सुबह करीब 9 बजे यूपी बाल आयोग की सदस्य सुचित्रा चतुर्वेदी ने फोन किया और बताया कि बिहार से कई बच्चों को अवैध तरीके से सहारनपुर ले जाया जा रहा है, वे अभी गोरखपुर में हैं और अयोध्या के रास्ते ले जाए जाएंगे। हमने बच्चों को बचाया और खाना सहित मेडिकल सहायता दी गई।’
सर्वेश अवस्थी ने बताया, ‘जो लोग बच्चों को लेकर आए थे उनके पास माता-पिता से मिला कोई सहमति पत्र नहीं था। बच्चों की उम्र 4-12 वर्ष के बीच है और उनमें से अधिकांश ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है। माता-पिता से संपर्क किया जा रहा है और उनके पहुंचने पर बच्चों को उन्हें सौंप दिया जाएगा। कुल 95 बच्चे थे।’
इससे पहले भी बिहार के बच्चों के एक समूह को उत्तर प्रदेश बाल आयोग ने गोरखपुर में बचाया था। इन बच्चों देश भर के कई मदरसों में भेजा जा रहा था। उन बच्चों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के आदेश पर बचाया गया था।
इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने भी एक्स पर एक पोस्ट डाला था। उन्होंने बचाए गए बच्चों की एक तस्वीर डालते हुए अपनी पोस्ट में लिखा था, ‘बिहार से दूसरे प्रदेशों के मदरसों में भेजे जा रहे मासूम बच्चों को @NCPCR के निर्देश पर उत्तरप्रदेश राज्य बाल आयोग की सहायता से गोरखपुर में रेस्क्यू किया गया है। भारत के संविधान ने हर एक बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिया है प्रत्येक बच्चे को स्कूल जाना अनिवार्य है,ऐसे में धर्म के आधार पर चंदा कमाने के लिए गरीब बच्चों दूसरे राज्यों में ले जाकर मदरसों में रखा जाना संविधान का उल्लंघन है।’
बिहार से दूसरे प्रदेशों के मदरसों में भेजे जा रहे मासूम बच्चों को @NCPCR_ के निर्देश पर उत्तरप्रदेश राज्य बाल आयोग की सहायता से गोरखपुर में रेस्क्यू किया गया है।
भारत के संविधान ने हर एक बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिया है प्रत्येक बच्चे को स्कूल जाना अनिवार्य है,ऐसे में धर्म के… pic.twitter.com/SW0X5lW6gy— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (मोदी का परिवार) (@KanoongoPriyank) April 19, 2024
बच्चों की तस्करी…एक गंभीर समस्या
भारत में बच्चों की तस्करी एक बड़ी समस्या है। ऐसे मां-बाप के बच्चों को खासतौर पर निशाना बनाया जाता है, जो गरीब हैं। पिछले ही साल महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में बताया था कि पिछले 6 सालों में (2018 से जून 2023) तक कुल 2,75,125 बच्चे देश में गायब हुए हैं। इनमें से 2,12,825 लड़कियां हैं। वैसे, कुल गायब हुए बच्चों में 2,40, 502 अपने परिवार के पास वापस पहुंच गये या पहुंचा दिए गए। ये सरकार के आंकड़े हैं।
दूसरी ओर पिछले ही साल के एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया कि 2016 से 2022 के बीच देश में यूपी, बिहार और आंध्र प्रदेश से सबसे अधिक बच्चों की तस्करी के मामले आए हैं। यह खुलासा भारत में बाल तस्करी: स्थितिजन्य डेटा विश्लेषण और तकनीक-संचालित हस्तक्षेप रणनीतिय और आवश्यकता'( Child Trafficking in India: Insights from Situational Data Analysis and the Need for Tech-driven Intervention Strategies) स्टडी से हुआ था। इस स्टडी को एनजीओ गेम्स 24×7 और कैलाश सत्यार्थी चिंल्ड्रेंस फाउंडेशन (KSCF) ने किया था।
कोविड के बाद बढ़ी है बाल तस्करी
इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोरोना के बाद से दिल्ली में बाल तस्करी के मामलों में 68 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। कोविड से पहले (2016-2019) में रिपोर्ट की गई घटनाओं की संख्या 267 थी लेकिन कोविड के बाद (2021-2022) में यह संख्या तेजी से बढ़कर 1214 हो गई।
वहीं, एनसीआरबी की 2022 की रिपोर्ट भी चौंकाने वाली है। देश में लापता हो रही लड़कियों की संख्या बढ़ी है। साल 2017 में लापता लड़कियों की जो संख्या 66,333 थी वह 28 प्रतिशत बढ़कर 2022 में 85,130 तक पहुंच गई है। संसद में पेश एक रिपोर्ट के अनुसार जून 2023 तक 7 राज्यों- मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा बच्चे गायब हुए हैं।
बाल तस्करी: हाल में सामने आए हैं कि कई केस
हाल में यूपी के मुरादाबाद और वाराणसी पुलिस ने एक बाल तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किया था, जो कुछ महीनों के बच्चों का अपहरण कर लेता था और फिर बच्चे की शक्ल और लिंग के आधार पर 2 लाख से 5 लाख रुपये तक में उन्हें बेचता था। पिछले साल सितंबर में वाराणसी पुलिस ने दो महिलाओं सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने पिछले छह महीनों में 50 से अधिक अपहरणों को अंजाम दिया था और बच्चों को निःसंतान जोड़ों या भीख मांगने वाले माफियाओं को बेच दिया था।
पुलिस ने खुलासा किया था उस गिरोह का नेटवर्क बिहार, झारखंड और राजस्थान तक फैला हुआ था। ये लोग सड़क के किनारे, झुग्गियों और गरीब इलाकों में सो रहे मजदूरों के परिवारों के बच्चों को ज्यादातर निशाना बनाते थे। ऐसा वे इसलिए करते थे कि अपराध की सूचना पुलिस तक ज्यादातर मामलों में नहीं पहुंच सके।
ऐसे ही उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 2 सितंबर को एक अस्पताल से बच्चा गायब होने के बाद पुलिस ने बाल तस्करी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया था। गिरोह का संचालन मुंबई की एक महिला द्वारा किया जाता था, जिसमें चार लोग शामिल थे। ये सभी विभिन्न अस्पतालों में नर्स थीं। ये गिरोह जन्म के तुरंत बाद बच्चे को चुरा लेता था और उसे दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में संपन्न निःसंतान दंपतियों को बेच देता था।