रायपुरः छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित मुलुगु जिले में एक बड़ी मुठभेड़ में ग्रेहाउंड फोर्स के जवानों ने सात नक्सलियों को ढेर कर दिया। यह मुठभेड़ रविवार सुबह लगभग 5 बजे हुई। सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के शवों के साथ-साथ कई हथियार भी बरामद किए, जिनमें एके-47 राइफल भी शामिल है।

मुलुगु जिले के घने जंगलों में हुई यह मुठभेड़ छत्तीसगढ़ और तेलंगाना पुलिस की संयुक्त कार्रवाई का हिस्सा थी। सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को घेरकर उन्हें निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप सात नक्सलियों की मौत हुई। इस सफल ऑपरेशन के दौरान, जवानों ने नक्सलियों के शवों के साथ कई अत्याधुनिक हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए, जिनमें एके-47 राइफल, जी-3 राइफल और इंसास राइफल शामिल हैं।

नक्सलियों के शवों की पहचान कर ली गई है, और यह पाया गया कि वे लंबे समय से इस इलाके में सक्रिय थे। सुरक्षा बलों का मानना है कि इस ऑपरेशन के बाद नक्सलियों की एक बड़ी साजिश नाकाम हो गई है, जो क्षेत्र में उग्रवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे थे।

यह मुठभेड़ इस क्षेत्र में नक्सलियों की बढ़ती गतिविधियों के बीच हुई है, जो पिछले कुछ वर्षों से सुरक्षाबलों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर नक्सली गतिविधियों को लेकर सुरक्षा बल लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं। इस मुठभेड़ में नक्सलियों की मौत से सुरक्षाबलों के मनोबल को मजबूती मिलेगी और इस क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में मदद मिलेगी।

नक्सली गतिविधियों पर काबू पाने के लिए लगातार प्रयास

यह ऑपरेशन उस समय हुआ जब नक्सली गतिविधियों पर काबू पाने के लिए छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की पुलिस के संयुक्त प्रयास लगातार जारी हैं। पिछले कुछ वर्षों में, इन क्षेत्रों में नक्सलियों के खिलाफ कई ऑपरेशन्स किए गए हैं, और इन ऑपरेशन्स ने कई नक्सलियों को मार गिराया है या पकड़ लिया है।

हालांकि, नक्सलियों की गतिविधियां पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं। ओडिशा और अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों में अभी भी नक्सली सक्रिय हैं। इन क्षेत्रों में नक्सलियों की संख्या 60 से 70 तक बताई जा रही है, जिनमें से अधिकांश छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड से आते हैं।

उत्तरी ओडिशा में नक्सली गतिविधियां और सुरक्षा बलों की कार्रवाई

उधर, ओडिशा के मलकंगिरी, कोरापुट और कंधमाल जिलों में नक्सली गतिविधियां लगातार जारी हैं, जहां सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ें होती रहती हैं। इन क्षेत्रों में नक्सली बड़े पैमाने पर हिंसा करते हैं और घने जंगलों का फायदा उठाते हुए सुरक्षा बलों से बचने की कोशिश करते हैं। हाल ही में मलकंगिरी जिले में एक मुठभेड़ हुई थी, जिसमें एक नक्सली मारा गया था, लेकिन बाद में यह पाया गया कि वह एक स्थानीय व्यक्ति था। इसके बावजूद, नक्सली अभी भी ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमाओं पर सक्रिय हैं और वहां उनकी कैम्पिंग जारी है।

हालांकि, सुरक्षाबल अब इस क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों पर काबू पाने में सफल होते जा रहे हैं और नक्सली अपने हिंसक तरीकों से परेशान होकर मुख्यधारा में लौटने लगे हैं। इस दिशा में सरकार और सुरक्षा बलों की कोशिशों से स्थिति धीरे-धीरे बेहतर हो रही है।

2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित

भारत सरकार और राज्य सरकारों ने 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सुरक्षा बल लगातार सर्च ऑपरेशन्स चला रहे हैं, जिससे नक्सलियों में भय और तनाव है। इन ऑपरेशन्स के परिणामस्वरूप नक्सलियों की संख्या में कमी आई है और उनका मुख्यधारा में लौटना भी देखा जा रहा है।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों के साथ-साथ सुरक्षा बलों के सख्त ऑपरेशन्स ने नक्सली गतिविधियों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सुरक्षा बलों की कार्रवाई और प्रशासनिक सुधारों ने इस दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाया है, और यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में नक्सलवाद का खात्मा हो सकेगा।