आंध्र प्रदेशः चंद्रबाबू नायडू सरकार ने राज्य के वक्फ बोर्ड को किया भंग, नई समिति के गठन की तैयारी

सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि बार काउंसिल श्रेणी में जूनियर अधिवक्ताओं का चयन बिना उचित मानदंड के किया गया, जिससे सीनियर अधिवक्ताओं के साथ हितों के टकराव की स्थिति पैदा हुई।

एडिट
Andhra Pradesh, Chandrababu Naidu, Waqf Board, आंध्र प्रदेश, चंद्रबाबू नायडू, वक्फ बोर्ड, YSRCP regime, Waqf Board News, GO-75,

आंध्र प्रदेश में टीडीपी सरकार ने वक्फ बोर्ड भंग किया, नई समिति के गठन की तैयारी।

हैदराबादः आंध्र प्रदेश में नारा चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी सरकार ने वाईएसआर कांग्रेस शासन के दौरान गठित वक्फ बोर्ड के पुराने आदेशों को रद्द कर दिया है। सरकार ने घोषणा की है कि जल्द ही एक नया वक्फ बोर्ड बनाया जाएगा। यह कदम वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों के विरोध के बीच उठाया गया है।

वाईएसआर कांग्रेस शासन का वक्फ बोर्ड क्यों हुआ भंग?

राज्य सरकार के आदेश के अनुसार, वाईएसआर कांग्रेस सरकार द्वारा गठित वक्फ बोर्ड मार्च 2023 से निष्क्रिय पड़ा था। इस बोर्ड में सुन्नी और शिया समुदायों के विद्वानों और पूर्व सांसदों का प्रतिनिधित्व नहीं था, जिससे वक्फ संचालन में ठहराव आ गया था।

आदेश में कहा गया कि बार काउंसिल श्रेणी में जूनियर अधिवक्ताओं का चयन बिना उचित मानदंड के किया गया, जिससे सीनियर अधिवक्ताओं के साथ हितों के टकराव की स्थिति पैदा हुई।

बोर्ड सदस्य के रूप में एसके खाजा के चुनाव पर भी शिकायतें दर्ज की गईं, खासकर उनकी 'मुतवल्ली' (वक्फ संपत्ति का प्रबंधन करने वाले व्यक्ति) के रूप में पात्रता को लेकर। इसके अलावा, कोर्ट के मामलों के चलते बोर्ड के अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका। इन कारणों से, राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि वक्फ बोर्ड का पुनर्गठन किया जाएगा।

वक्फ संपत्तियों पर विवाद और राष्ट्रीय राजनीति

आंध्र प्रदेश सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देशभर में कई वक्फ बोर्डों पर अतिक्रमण और भूमि विवादों के आरोप लग रहे हैं। यह मुद्दा राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है। 8 अगस्त को केंद्र सरकार ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया।

सरकार ने कहा कि यह कानून वक्फ बोर्ड के कामकाज को सुव्यवस्थित करने और वक्फ संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। हालांकि, विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक को समुदाय के खिलाफ लक्षित कदम और उनके संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में बताया। इसके बाद विधेयक को एक संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया।

विधेयक पर राजनीतिक घमासान

वक्फ विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति की बैठकें बेहद सक्रिय और तीखी बहसों का केंद्र बनी हुई हैं। विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के सदस्य लगातार जोरदार तर्क-वितर्क कर रहे हैं। गुरुवार को लोकसभा ने इस विधेयक पर चर्चा के लिए संयुक्त समिति के कार्यकाल को अगले साल के बजट सत्र की अंतिम तिथि तक बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article