चंडीगढ़ः भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े हालिया तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की व अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने के विरोध में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने बड़ा कदम उठाया है। राज्यसभा सांसद और यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू ने शनिवार को घोषणा की कि विश्वविद्यालय ने इन दोनों देशों की 23 यूनिवर्सिटियों के साथ किए गए सभी शैक्षणिक समझौता ज्ञापनों (MoUs) को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।
उन्होंने स्पष्ट कहा, “खून और शिक्षा एक साथ नहीं बह सकते। देश के सम्मान से बड़ा हमारे लिए कुछ नहीं है। भारत की संप्रभुता के खिलाफ खड़े देशों के साथ किसी भी प्रकार का शैक्षणिक सहयोग अस्वीकार्य है।”
शिक्षा के नाम पर समझौता नहीं: संधू
संधू ने बताया कि इनमें से 22 समझौते तुर्की की विभिन्न यूनिवर्सिटियों के साथ थे, जबकि एक एमओयू अजरबैजान के साथ किया गया था। इन समझौतों के तहत छात्र-शिक्षक आदान-प्रदान, संयुक्त शोध परियोजनाएं, नॉलेज शेयरिंग, और अकादमिक सहयोग जैसी गतिविधियां संचालित की जा रही थीं। उन्होंने कहा, “अब से इन दोनों देशों की यूनिवर्सिटियों से किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं होगा।”
उन्होंने इसे भारत की एकता और आत्मसम्मान की रक्षा का प्रतीक बताया और कहा, “आज पूरा भारत जाति-धर्म से ऊपर उठकर एकजुट है और अपने नेतृत्व के साथ खड़ा है। तुर्की और अजरबैजान को यह स्पष्ट संदेश है कि भारत आतंकवाद के किसी भी समर्थक को बर्दाश्त नहीं करेगा।”
सतनाम सिंह संधू ने यह भी बताया कि वे उस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं जो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की आतंकवाद-समर्थक नीतियों को उजागर करेगा। उन्होंने कहा, “हम दुनिया को बताएंगे कि पाकिस्तान कैसे दशकों से आतंकवाद को पालता रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के निर्णायक नेतृत्व के कारण आज पूरा देश एकजुट है और पाकिस्तान का झूठ बेनकाब हो रहा है।”
JNU, LPU, IIT और अन्य संस्थानों ने भी उठाया कदम
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से पहले देश के कई प्रमुख शिक्षण संस्थानों ने भी तुर्की और अजरबैजान के साथ अपने शैक्षणिक संबंध समाप्त किए हैं:
- JNU ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए तुर्की की इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ फरवरी 2025 में हुआ तीन वर्षीय एमओयू समय से पहले समाप्त कर दिया।
- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) ने छह शैक्षणिक साझेदारियों को रद्द किया। एलपीयू के संस्थापक डॉ. अशोक मित्तल ने कहा, “जब हमारे सैनिक अपनी जान जोखिम में डालते हैं, तब हम चुप नहीं बैठ सकते।”
- IIT मुंबई और IIT रुड़की ने तुर्की के विश्वविद्यालयों के साथ सभी सहयोगात्मक समझौते निलंबित या रद्द कर दिए हैं।
- जामिया मिलिया इस्लामिया और कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय ने भी तुर्की के विश्वविद्यालयों के साथ अपने एमओयू निलंबित किए हैं।
- शारदा विश्वविद्यालय ने तुर्की के दो संस्थानों से हुए समझौते समाप्त कर दिए हैं और वहां के छात्रों को अब विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं मिलेगा।