रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने बुधवार शाम 7.15 बजे राजभवन पहुंचकर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को इस्तीफा सौंप दिया। इसके साथ ही सत्तारूढ़ गठबंधन के नए नेता हेमंत सोरेन ने नई सरकार के लिए दावा पेश करते हुए राज्यपाल को विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा। झारखंड कांग्रेस के प्रभारी गुलाम अहमद मीर भी मौके पर मौजूद रहे। हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद पूर्व सीएम चंपई सोरेन करीब 153 दिनों तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहे थे।
हेमंत सोरेन 7 जुलाई को ले सकते हैं शपथ
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने चंपई सोरेन का सीएम पद से इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। ऐसे में राज्यपाल ने चंपई सोरेन को वैकल्पिक व्यवस्था होने तक उन्हें अपने पद पर बने रहने को कहा है। चंपई सोरेन का सीएम पद का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद यह खबर आई थी कि हेमंत सोरेन ने राज्यपाल से बुधवार को ही शपथ लेने की बात कही है।
खबर लिखने तक यह बात सामने आ रही है कि हेमंत सोरेन सात जुलाई को सीएम पद का शपथ ले सकते हैं। हालांकि इस मामले में अभी तक कोई भी आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
यह तीसरी बार होगा, जब हेमंत सोरेन सीएम पद की शपथ लेंगे। सबसे पहली बार वह 2013 में सीएम बने थे। दूसरी बार 2019 में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और वे दूसरी बार सीएम बने।
इस्तीफा देने के बाद क्या बोले चंपई सोरेन
सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद चंपई सोरेन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “हमारे गठबंधन की बात है। पिछले दिनों हम लोगों ने नेतृत्व परिवर्तन किया था। मुझे दायित्व मिला। राजनीतिक घटनाक्रम सभी ने देखा। अब हेमंत सोरेन आए तो गठबंधन में हमने फिर से फैसला लिया। हमने और गठबंधन ने हेमंत सोरेन को अपना नेता चुना है और मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। गठबंधन में जो निर्णय लिया गया है उसके तहत ही हमने काम किया है।”
बैठक में चंपई सोरेन ने क्या किया
इससे पहले हेमेंत सोरेन ने सरकार बनाने के लिए कांके रोड स्थित आवास पर गठबंधन के विधायकों की दोपहर 12 बजे से बैठक चली थी। इस बैठक में बताया जा रहा है कि बैठक में सीएम चंपई सोरेन ने खुद पद छोड़ने और हेमंत सोरेन को नेता चुने जाने का प्रस्ताव रखा और इस पर तमाम विधायकों ने सहमति जाहिर की थी।
बैठक में कांग्रेस पार्टी के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर, झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर और गठबंधन की तीनों पार्टियों के प्रमुख नेता शामिल थे।
बैठक में क्या तय हुआ था
दरअसल, 28 जून को पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को झारखंड हाईकोर्ट से रेगुलर बेल मिलने और पांच महीने बाद उनके जेल से बाहर आने के साथ ही राज्य में राजनीतिक परिस्थितियां अचानक से बदलने लगीं।
हेमंत सोरेन ने मंगलवार शाम सीएम चंपई सोरेन से मुलाकात की थी। बुधवार की बैठक में यह भी तय हुआ कि अगले तीन से चार महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव में गठबंधन की अगुवाई हेमंत सोरेन ही करेंगे।
क्या है पूरा मामला
बीते 31 जनवरी को ईडी ने जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जब हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था, तब उसके पहले भी सत्तारूढ़ गठबंधन ने यही तरीका अपनाया था।
गठबंधन के विधायकों ने हेमंत सोरेन को फैसले के लिए अधिकृत कर दिया था। जैसे ही ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया, उन्होंने तत्काल चंपई सोरेन को अपना उत्तराधिकारी बना दिया। हेमंत सोरेन इस्तीफा देने राजभवन पहुंचे थे तो चंपई सोरेन भी उनके साथ थे और उन्होंने उसी पल नई सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के समक्ष पेश किया था।
हेमंत सोरेन के सीएम बनने पर भाजपा ने दी प्रतिक्रिया
चंपई सोरेन की जगह हेमंत सोरेन को फिर से झारखंड का सीएम बनाने के फैसले पर भाजपा नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। असम के सीएम और झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, “झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस पार्टी द्वारा एक वरिष्ठ आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री पद से हटाना बेहद दुखद है। मुझे पूरा विश्वास है कि झारखंड की जनता इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करेगी और इसे दृढ़ता से खारिज करेगी।”
क्या बोले बाबूलाल मरांडी
झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, “शिबू सोरेन का परिवार अपने परिवार से बाहर के किसी भी आदिवासी को सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करता है। अपना काम निकालने के बाद वे किसी को भी दूध की मक्खी की तरह उठाकर बाहर कर देते हैं। इस बार भी यही हुआ है। चंपई सोरेन को हटाए जाने से झामुमो का असली परिवारवादी चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है।”
समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ