चमोलीः उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव के पास हुए हिमस्खलन में मरने वालों की संख्या रविवार को बढ़कर छह हो गई। बीते 28 फरवरी को हुए हिमस्खलन में फंसे 55 श्रमिकों में से 51 श्रमिकों को रेस्क्यू कर लिया गया है। इसके अलावा एक मजदूर अपने घर पहुंच गया है।
हिंदुस्तान टाइम्स ने देहरादून के पीआरओ (रक्षा) लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव के हवाले से बताया, "चल रहे सर्च ऑपरेशन के दौरान सेना ने बर्फ में एक और शव बरामद किया है। शव को माना पोस्ट लाया जा रहा है।"
फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए सेना, आईटीबीपी, वायुसेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ मिलकर बचाव अभियान चलाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि 3 मजदूर अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। इसके अलावा एक मजदूर अपने घर पहुंच गया है।
सभी मजदूर भारत-चीन सीमा के पास स्थित चमोली के माणा गांव के पास बीआरओ के निर्माण कार्य में लगे हुए थे। 28 फरवरी को अचानक ग्लेशियर टूट गया जिससे वहां मौजूद 55 मजदूर इसकी चपेट में आ गए थे।
एक लापता मजदूर घर पहुंचा
चमोली के जिलाधिकारी ने बीआरओ के प्रतिनिधियों को निर्देश दिया कि जो मजदूर लापता हैं, उनके घर फोन कर जानकारी प्राप्त की जाए। बीआरओ को पता चला कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा निवासी सुनील कुमार अपने घर पहुंच गया है।
इस बीच, वायु सेना का एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर, तीन चीता हेलीकॉप्टर, उत्तराखंड सरकार के 2 हेलीकॉप्टर, एम्स ऋषिकेश से एक एयर एंबुलेंस राहत एवं बचाव कार्य में लगाए गए हैं। भारतीय वायुसेना के चीता हेलीकॉप्टरों से घायलों को ज्योतिर्मठ स्थित सेना अस्पताल ले जाया जा रहा है।
अधिकारी के अनुसार, माणा गांव में रविवार सुबह ऑपरेशन फिर से शुरू कर दिया गया है। सेना और आईटीबीपी द्वारा माणा एवलांच प्वाइंट पर आज सुबह एक बार फिर से बचाव अभियान शुरू कर दिया गया। अभी भी 3 श्रमिक लापता हैं। एक मजदूर अपने घर सुरक्षित पहुंच गया है।
बता दें कि जो चार श्रमिक लापता हैं, उनमें हिमाचल प्रदेश का हर्मेश चंद, उत्तर प्रदेश का अशोक, उत्तराखंड का अनिल और अरविंद कुमार शामिल हैं। इसके अलावा जिन मजदूरों की मौत हुई है, उनमें हिमाचल प्रदेश का जितेंद्र सिंह और मोहिंद्र पाल, उत्तर प्रदेश का मंजीत यादव और उत्तराखंड का अलोक यादव शामिल हैं।
हिमस्खलन से बचावकार्य में बाधा
बचाव अभियान में विक्टिम लोकेटिंग कैमरा (VLC), थर्मल इमेजिंग कैमरा, ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार और दिल्ली से लाई गई विशेष उपकरणों के अलावा प्रशिक्षित खोजी कुत्तों का उपयोग किया जा रहा है। मौसम अनुकूल होने पर ड्रोन और यूएवी के जरिए भी तलाश अभियान चलाया जाएगा।
हिमस्खलन के कारण बद्रीनाथ-ज्योतिर्मठ मार्ग 15-20 स्थानों पर अवरुद्ध हो गया है, जिससे सड़क मार्ग से बचाव दलों का पहुंचना लगभग असंभव हो गया है। ऐसे में सेना और वायुसेना के हेलीकॉप्टर बचाव कार्यों में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
केंद्रीय कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और उत्तर भारत जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल डीजी मिश्रा ने मौके पर पहुंचकर राहत कार्यों की निगरानी की। लेफ्टिनेंट जनरल सेनगुप्ता ने बताया कि सड़क मार्ग पर भारी बर्फ के कारण राहत अभियान और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
कंटेनरों को ट्रेस करने में जीपीआर रडार की मदद ली जा रही
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी बचावकार्य की लगातार जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने हवाई सर्वेक्षण कर बचाव दलों की सराहना की और अधिकारियों को युद्धस्तर पर खोज अभियान जारी रखने का निर्देश दिया।
उन्होंने शनिवार बताया कि पांच कंटेनरों को ट्रेस कर श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। तीन कंटेनरों को ट्रेस करने का काम जारी है। कंटेनरों की तलाश के लिए आर्मी के स्निफर डाग्स की तैनाती की गई है। कंटेनरों का ट्रेस करने में जीपीआर रडार की मदद ली जा रही है।
उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी स्थिति की जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी श्रमिकों की सुरक्षित निकासी के लिए चिंतित हैं और नियमित अपडेट ले रहे हैं।