दिल्लीः बीती 21 जनवरी को छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में हुई। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने दावा किया कि कम से कम 16 संदिग्ध माओवादी मारे गए। यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़ और ओडिशा का संयुक्त ऑपरेशन था।
मारे गए लोगों में जिस नाम की सबसे अधिक चर्चा रही, वह है चलपति। चलपति का असली नाम जयराम रेड्डी था। जयराम रेड्डी को माओवादियों के शीर्ष नेताओं में गिना जाता था। उस पर 1 करोड़ का इनाम था। साल 2008 में ओडिशा के नयागढ़ जिले में हुए हमले के आरोप चलपति पर थे। इस हमले में 10 सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी।
चलपति दशकों तक सुरक्षाबलों से को चकमा देकर बचता रहा। हालांकि पत्नी के साथ सेल्फी लेना चलपति को भारी पड़ा जिसके चलते वह मारा गया। चलपति ने अपनी पत्नी अरूणा उर्फ चैतन्य वेंकट रमन के साथ सेल्फी ली थी।
माओवादी विरोधी अभियानों में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि उसने नयागढ़ से माओवादियों को शस्त्रों को लेकर भागने में मदद की थी।
वर्षों तक पुलिस से छिपता रहा
अधिकारी के मुताबिक, उसने यह भी सुनिश्चित किया था कि जब शस्त्रागार पर हमला चल रहा हो तो पुलिस वहां न पहुंचने पाए। इसके लिए माओवादियों ने शहर की ओर जाने वाली सभी सड़कों को पेड़ों की टहनियों से बंद कर दिया था।
वह वर्षों तक पुलिस से छिपता रहा लेकिन अपनी पत्नी अरूणा के साथ सेल्फी से सुरक्षा बलों को पहचान करने में मदद मिली। चलपति की पत्नी अरूणा आंध्र ओडिशा बॉर्डर स्पेशल जोनल कमेटी (एओबीएसजेडसी) की डिप्टी कमांडर है।
चलपति और उसकी पत्नी की तस्वीर एक लावारिस फोन में मिली थी। यह फोन साल 2016 में माओवादियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद बरामद किया गया था। उसके ऊपर 1 करोड़ रूपये का इनाम रखा गया था, जिसके चलते वह 8-10 निजी गार्ड लेकर चलता था।
आंध्र प्रदेश के चित्तूर का था निवासी
चलपति आंध्र प्रदेश के चित्तूर का निवासी था। वह माओवादियों की केंद्रीय समिति का एक वरिष्ठ सदस्य था। वह इस समूह के भीतर सर्वोच्च निर्णय लेता था। मुख्यतः वह छत्तीसगढ़ और बस्तर में सक्रिय था।
हालांकि बाद में मुठभेड़ बढ़ने लगी, इस वजह से उसने कुछ महीने पहले अपना ठिकाना बदल लिया था। वह सुरक्षित स्थान की तलाश में वह ओडिशा की सीमा के पास रहने लगा था।
अधिकारियों के मुताबिक, वह सैन्य रणनीतियों और गुरिल्ला युद्ध का विशेषज्ञ माना जाता था।
चलपति के मारे जाने पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ” यह नक्सलवाद के लिए एक और झटका” है। अमित शाह ने साल 2026 तक माओवाद को खत्म करने की कसम खाई है।
अमित शाह ने इस मुठभेड़ के बाद सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखी, “हमारे सुरक्षा बलों ने नक्सल मुक्त भारत के निर्माण में बड़ी सफलता पाई है। ओडिशा-छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर सीआरपीएफ, एसओजी ओडिशा और छत्तीसगढ़ के एक संयुक्त अभियान में 14 नक्सली मारे गए हैं।”
शाह ने आगे कहा – “नक्सल मुक्त भारत के हमारे संकल्प और हमारे सुरक्षा बलों के संयुक्त प्रयासों से नक्सलवाद अंतिम सांसे गिन रहा है।”
इस साल अलग-अलग हुए अभियानों में 40 से अधिक माओवादी मारे गए हैं।