नई दिल्लीः भारत सरकार ने बुधवार को जाति जनगणना कराने की घोषणा की है। आगामी जनगणना में जातिवार जनगणना भी कराई जाएगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बारे में जानकारी दी।

पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। इस संबंध में अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा "प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हुई राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज निर्णय लिया है कि आगामी जनगणना में जाति जनगणना भी शामिल होनी चाहिए...यह दर्शाता है कि सरकार समाज के मूल्यों और हितों के लिए प्रतिबद्ध है।"

अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा?

सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया। 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई। जाति जनगणना की जगह कांग्रेस ने जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है।

उन्होंने आगे कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। तत्पश्चात एक मंत्रिमंडल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनैतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी। इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाय, सर्वे कराना ही उचित समझा, जिसे सीईसीसी के नाम से जाना जाता है।

वैष्णव ने कहा कि जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 पर अंकित है और यह केंद्र का विषय है। हालांकि, कई राज्यों ने सर्वे के माध्यम से जातियों की जनगणना की है। जहां कुछ राज्यो में यह कार्य सुचारू रूप से संपन्न हुआ, वहीं कुछ अन्य राज्यों ने राजनैतिक दृष्टि से और गैरपारदर्शी ढंग से सर्वे किया।

बिहार चुनाव से पहले बड़ा निर्णय 

इसके साथ ही वैष्णव ने यह भी कहा कि पूर्व में सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी, जिससे किसी वर्ग पर कोई दबाव नहीं पड़ा।

बिहार राज्य विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार की तरफ से यह बड़ा कदम उठाया गया है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल जातिवार जनगणना कराने की मांग कर रहे थे। 

बिहार में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड ने राज्य में जातिवार जनगणना कराई थी। तब जदयू का गठबंधन आरजेडी के साथ था। 

वहीं, जाति आधारित जनगणना कराने वाले राज्यों का जिक्र करते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह काम पारदर्शिता के साथ करना चाहिए।

मंत्री ने कहा "यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति से सामाजिक ताना-बाना प्रभावित न हो, जाति गणना को सर्वेक्षण का हिस्सा बनाने के बजाय पारदर्शी तरीके से जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए...इससे समाज का सामाजिक और आर्थिक ताना बाना मजबूत होगा।"

इसके साथ ही अश्विनी वैष्णव ने उन विपक्षी राज्यों पर निशाना साधा जिन्होंने राज्य में जाति सर्वेक्षण कराए हैं। इनके बारे में अश्विनी ने कहा कि इससे समाज में भ्रम की स्थिति पैदा हुई है।

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की मांग

जातिवार जनगणना की मांग कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल कर रहे हैं। साल 2024 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस ने जाति जनगणना को प्रमुख मुद्दा बनाया था और राहुल गांधी इस विषय पर लगातार बोलते रहे हैं। 

जनगणना हर 10 वर्ष में कराई जाती है। इससे पहले आखिरी बार जनगणना साल 2011 में हुई थी। ऐसे में अगली जनगणना 2021 में होनी थी लेकिन कोविड महामारी के चलते जनगणना नहीं हो पाई थी।

(IANS से इनपुट के साथ)