नई दिल्ली: वित्त एवं राजस्व मंत्रालय ने संसद को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले 10 वर्षों में वर्तमान एवं पूर्व सांसदों, विधायकों, एमएलसी, राजनीतिक नेताओं और राजनीतिक दलों से संबद्ध व्यक्तियों के खिलाफ 193 मामले दर्ज किए हैं। मंत्रालय ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में दर्ज मामलों केवल दो मामलों में ही दोषसिद्धि हुई है। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने केरल से राज्य सभा सांसद एए रहीम द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दी।
रहीम ने संसद में जो जानकारी मांगी, वे इस प्रकार हैं-
- पिछले 10 वर्षों में सांसदों, विधायकों और स्थानीय प्रशासन के सदस्यों के खिलाफ दर्ज किए गए ईडी मामलों की संख्या, पार्टी, राज्य और वर्ष के अनुसार बताई जाए।
- दोषसिद्धि, दोषमुक्ति और लंबित जांच का वर्षवार डेटा
- विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामलों में वृद्धि और इस प्रवृत्ति के औचित्य की जांच
- ईडी जांच में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए सरकारी सुधार के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
सांसद के सवाल पर सरकार का जवाब
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार पहले सवाल के जवाब में राज्य मंत्री (वित्त मंत्रालय) पंकज चौधरी ने बताया कि सांसदों, विधायकों और स्थानीय प्रशासकों के साथ-साथ उनकी पार्टी के खिलाफ दर्ज ईडी मामलों का राज्यवार डेटा नहीं रखा जाता है। हालांकि, उन्होंने पिछले 10 वर्षों के दौरान मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों, एमएलसी और राजनीतिक नेताओं या किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मामलों का वर्षवार विवरण जरूर किया।
सबसे अधिक मामले अप्रैल 2022 से मार्च 2023 की अवधि के दौरान दर्ज किए गए। उस अवधि के दौरान 32 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने आगे बताया कि पिछले 10 वर्षों में दर्ज इन 193 मामलों में से केवल दो में ही दोषसिद्धि हुई जबकि अभी तक कोई भी बरी नहीं हुआ है।
हाल के वर्षों में विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी के मामलों में संभावित वृद्धि के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि ऐसा कोई डेटा नहीं रखा जाता है। चौथे सवाल के जवाब में कहा गया कि ईडी केवल विश्वसनीय साक्ष्य/सामग्री के आधार पर ही जांच के लिए मामले लेता है और राजनीतिक संबद्धता, धर्म या अन्य आधार पर मामलों में अंतर नहीं करता है। इसके अलावा सरकार की ओर से कहा गया कि, ईडी की कार्रवाई हमेशा न्यायिक समीक्षा के लिए खुली रहती है।