नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित तीन सदस्यीय इन-हाउस पैनल ने भी अपनी जांच में जस्टिस वर्मा के आवास में कैश होने की पुष्टि की है। ऐसे में जस्टिस वर्मा इस बात पर अड़े हुए हैं कि उनके आवास में इतनी बड़ी मात्रा में नकदी कहां से आई, इसके बारे में उनको कुछ पता नहीं है। अब सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। मानसून सत्र में इस प्रस्ताव को लाया जा सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, जांच में आरोपों के सही पाए जाने के बाद सरकार मॉनसून सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है। यह प्रस्ताव उन्हें पद से हटाने के लिए होगा।
जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति और PM मोदी को भेजी गई
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना ने जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी थी। उन्होंने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी। जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने के लिए भी कहा गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उनका तबादला 20 मार्च को कर दिया गया था। उन्होंने 5 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज के रूप में शपथ ली, लेकिन उन्हें अभी तक कोई काम नहीं सौंपा गया है।
राष्ट्रपति ने अब पूर्व सीजेआई की सिफारिश राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष को भेज दी है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि चूंकि पूर्व सीजेआई ने महाभियोग की सिफारिश की है, इसलिए प्रस्ताव संसद में लाना होगा। महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए, लोकसभा में कम से कम 100 सदस्य और राज्यसभा में कम से कम 50 सदस्य होने चाहिए।
कब लाया जाएगा प्रस्ताव?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार के एक सूत्र ने कहा कि वे आगामी सत्र में प्रस्ताव लाएंगे। वे राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष से सदन की राय लेने के लिए कहेंगे। सरकार विपक्षी दलों से भी सहमति लेने की कोशिश करेगी, क्योंकि महाभियोग को दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पास कराना होता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि यह प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जाएगी। जबकि कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी से अभी तक इस मामले पर चर्चा के लिए संपर्क नहीं किया गया है। संसद का मॉनसून सत्र जुलाई के तीसरे सप्ताह तक शुरू होने की उम्मीद है।