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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 2023-24 में अदालत से जुड़े मामलों पर 66 करोड़ रुपये खर्च किए, जो पिछले साल की तुलना में 9 करोड़ रुपये ज्यादा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल (2014-2024) के दौरान सरकार का कानूनी खर्च 400 करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है।
लोकसभा में पेश किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 से कानूनी खर्च लगातार बढ़ रहा है, हालांकि कोविड-19 महामारी के दौरान दो वर्षों में इसमें थोड़ी कमी आई थी।
2014-15 में सरकार ने 26.64 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जो अगले साल बढ़कर 37.43 करोड़ रुपये हो गया। अब तक यह कुल मिलाकर 409 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।
'राष्ट्रीय मुकदमा नीति' की तैयारी में सरकार
सरकार अब एक नई "राष्ट्रीय मुकदमा नीति" (National Litigation Policy) बनाने पर काम कर रही है, जिससे अदालतों में लंबित मामलों को तेजी से निपटाया जा सके। इस नीति का प्रारंभिक मसौदा केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
यह नीति दस्तावेज पिछले कुछ वर्षों में कई संशोधनों से गुजरा है, और इसके ढांचे पर विभिन्न सरकारों द्वारा लगातार चर्चा की जाती रही है।