पुणेः भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी पेशेवर सेना को अस्थायी नुकसानों से फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि युद्ध में सबसे अहम बात उसके नतीजे होते हैं। ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दौरान भारत को हुए कुछ नुकसान की बात स्वीकार करते हुए जनरल चौहान ने कहा कि भारत ने इस सैन्य कार्रवाई के जरिए आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीतिक सोच और सीमा रेखा को पूरी तरह से बदल दिया है।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान मंगलवार को पुणे में थे। सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में ‘भविष्य के युद्ध और युद्धकला’ विषय पर एक विशेष व्याख्यान में बोलते हुए जनरल चौहान ने कहा, “जब मुझसे नुकसान को लेकर सवाल पूछा गया, तो मैंने यही कहा कि नुकसान मायने नहीं रखता, परिणाम मायने रखते हैं। युद्ध में मनोबल बनाए रखना जरूरी होता है। हम कोई क्रिकेट मैच नहीं खेल रहे जहाँ विकेट गिने जाएं।"
'1 हजार घाव देकर खून बहाने की नीति पर चलता रहा है पाकिस्तान'
सीडीएस ने कहा कि जहां तक हमारे विरोधी का सवाल है, उसने भारत को एक हजार घाव देकर खून बहाने की नीति पर चलता रहा है। लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने इस सोच पर निर्णायक प्रहार किया। यह अभियान पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध एक सख्त संदेश और निर्णायक सैन्य कार्रवाई थी। पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 1965 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए भारत के खिलाफ एक हजार साल के युद्ध की घोषणा की थी।
#WATCH | Pune | Chief of Defence Staff (CDS) General Anil Chauhan says, "...On the 10th of May, at about 1 am, their (Pakistan) aim was to get India to its knees in 48 hours. Multiple attacks were launched and in some manner, they have escalated this conflict, which we had… pic.twitter.com/hBqlz912cU
— ANI (@ANI) June 3, 2025
उन्होंने कहा कि पाहलगाम में जो हुआ, वह अत्यंत क्रूरता थी। लोगों को बच्चों के सामने सिर में गोली मार दी गई, सिर्फ मजहब के नाम पर। यह आधुनिक दुनिया में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सीडीएस ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब आतंक के साए में नहीं जिएगा और न ही परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त करेगा। जनरल चौहान ने बताया कि भारत ने इस अभियान के दौरान बेहद सटीक और सीमित लक्ष्य वाली कार्रवाई की। हमारी स्ट्राइक इतनी सटीक थीं कि कुछ निशाने सिर्फ दो मीटर चौड़े थे।
'पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की बनाई थी योजना'
जनरल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा कि भारत ने 7 मई को की गई स्ट्राइक के बारे में पाकिस्तान को सूचित कर दिया था। इसमें केवल आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया गया था। इसके बाद जब पाकिस्तान की ओर से बयानबाजी शुरू हुई, तो हमने भी स्पष्ट कर दिया कि अगर पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, तो हम भी जवाब देंगे और उनसे कहीं ज्यादा कड़ा प्रहार करेंगे।
सीडीएस ने खुलासा किया कि पाकिस्तान ने इस अभियान के जवाब में 48 घंटे की जवाबी कार्रवाई की योजना बनाई थी, लेकिन भारतीय स्ट्राइक्स की तीव्रता और असर के कारण वह केवल आठ घंटे में ही पीछे हट गया और बातचीत की अपील करने लगा।
उन्होंने कहा, “10 मई की रात 1 बजे तक पाकिस्तान भारत को घुटनों पर लाने की सोच रहा था, लेकिन आठ घंटे में उनकी योजना धराशायी हो गई। इसके बाद उन्होंने बातचीत और तनाव घटाने की अपील की, जिसे हमने स्वीकार किया।” सीडीएस ने यह भी कहा कि भारत अब आतंकवाद को केवल सैन्य चुनौती नहीं, बल्कि जल कूटनीति और राजनीतिक रणनीति से भी जोड़ रहा है। हमने आतंक को पानी से जोड़ा है, हमने एक नई रेडलाइन खींची है।
'यह मायने नहीं रखता कि कितने विमान गिरे, या कितने राडार'
जनरल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना को हुए कुछ नुकसानों को स्वीकारते हुए कहा कि "यह मायने नहीं रखता कि कितने विमान गिरे, या कितने राडार नष्ट हुए, बल्कि यह मायने रखता है कि उन्होंने क्यों और कैसे नुकसान उठाया। यह आत्ममंथन का विषय है, न कि सार्वजनिक गणना का।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा जैसे कि अगर आप टेस्ट मैच खेलने जाएं और पारी से मैच जीत जाएं, तो फिर यह मायने नहीं रखता कि कितनी गेंदें, कितने विकेट गिरे। उन्होंने कहा कि तकनीकी आधार पर हम आंकड़े निकालेंगे और आपको बताएंगे कि कितने एयरक्राफ्ट और कितने राडार नष्ट किए गए।
जब उनसे पूछा गया कि क्या राफेल जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान भी शामिल थे, तो उन्होंने संख्या बताने से इनकार करते हुए केवल इतना कहा कि "इस्लामाबाद का छह विमानों को मार गिराने का दावा गलत है, लेकिन यह बहस का मुद्दा नहीं है। मुद्दा है कि हमने क्या सीखा और कैसे प्रतिक्रिया दी।