नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई-CBSE) ने दसवीं कक्षा के विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों के लिए दोहरी प्रणाली शुरू करने की तैयारी की है, जो छात्रों को अधिक लचीलापन और शैक्षणिक दबाव को कम करने में मदद करेगा।
वर्तमान में, यह दोहरी-स्तरीय प्रणाली कक्षा 10 में गणित के लिए पहले से लागू है, जिसमें ‘मानक गणित’ (कोड: 041) और ‘मूल गणित’ (कोड: 241) के विकल्प होते हैं।
अब, सीबीएसई 2026-27 के शैक्षणिक सत्र से विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों में भी इसी तरह के ‘मानक’ और ‘मूल’ स्तरों के बीच चयन करने की सुविधा छात्रों को देने की योजना बना रहा है। इस पहल को सीबीएसई की पाठ्यक्रम समिति ने हाल ही में मंजूरी दी थी, और अब अंतिम अनुमोदन का इंतजार किया जा रहा है।
सीबीएसई बोर्ड के छात्र अपनी क्षमताओं के अनुसार कर सकेंगे चयन
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, इस दोहरी प्रणाली का उद्देश्य छात्रों की विभिन्न सीखने की क्षमताओं और रुचियों के अनुसार पाठ्यक्रम को बनाना है, जिससे वे अपनी क्षमताओं के अनुसार चयन कर सकेंगे।
बोर्ड ने यह कदम शैक्षणिक दबाव को कम करने और छात्रों को अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिए उठाया है। फिलहाल, कक्षा 10 के गणित विषय में 15,88,041 छात्रों ने ‘मानक गणित’ का विकल्प चुना है, जबकि 6,79,560 छात्रों ने ‘मूल गणित’ को चुना है।
बुनियादी गणित और मानक गणित में अलग-अलग होगा स्तर
खबर में दिल्ली के मयूर विहार में स्थित (एएसएन-ASN) स्कूल की गणित शिक्षिका सरोजिनी चंदोला के हवाले से बताया कि मानक और बुनियादी गणित के पाठ्यक्रम समान होते हैं और दोनों के लिए एक ही एनसीआरटी (NCERT) पाठ्यपुस्तक का पालन किया जाता है।
हालांकि, मुख्य अंतर प्रश्नों के कठिनाई स्तर में है। बुनियादी गणित में सवाल थोड़े आसान और स्कोरिंग होते हैं, जबकि मानक गणित में जटिल और विश्लेषणात्मक प्रश्न होते हैं, जिन्हें अवधारणाओं की गहरी समझ की आवश्यकता होती है।
खबर के अनुसार ‘मानक’ और ‘मूल’ गणित के बीच अंतर सिर्फ अवधारणाओं के आवेदन और प्रश्नों की जटिलता में है। जो छात्र बुनियादी गणित चुनते हैं, उन्हें उच्च शैक्षिक मार्गों, जैसे कि इंजीनियरिंग के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जबकि मानक गणित छात्रों को अधिक व्यापक अवसर प्रदान करता है, लेकिन इसके लिए गहरी समझ और उच्च क्षमताओं की आवश्यकता होती है।
इस नई प्रणाली से उम्मीद की जा रही है कि छात्रों को उनके स्तर के अनुसार बेहतर अवसर और सहायता मिल सकेगी, जिससे उनकी शैक्षणिक यात्रा अधिक प्रभावी और कम दबाव वाली होगी।