क्या है 2018 का वो सीबीआई केस जिसे लेकर पहले भी चर्चा में आए थे जस्टिस यशवंत वर्मा?

जस्टिस यशवंत वर्मा इन दिनों चर्चा में हैं। वजह उनके घर में आग लगने के बाद मिले कैश की खबरे हैं। इससे पहले भी जस्टिस वर्मा का नाम विवादों में आया है।

Yashwant Varma CBI Case

जस्टिस वर्मा का सीबीआई केस Photograph: (bole bharat desk)

नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा इन दिनों सुर्खियों में हैं। दिल्ली में उनके आवास पर कथित तौर पर बड़ी मात्रा में कैश बरामद हुआ था। कैश बरामदगी की खबरों के बाद मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया और लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ पर चर्चाएं होने लगीं।

हालांकि अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि साल 2018 में भी जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई के एक मामले में आया था। 

विवाद के बीच, न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतिरत कर दिया गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद भेजने का निर्णय इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा की जा रही जांच से संबंधित नहीं है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है कि वह विवादों में घिरे हों। इससे पहले भी उनका नाम विवाद में आया है।

दिल्ली उच्च न्यायालय में वरिष्ठ न्यायाधीश

यशवंत वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मु्ताबिक, साल 2018 में चीनी मिल के धोखाधड़ी मामले में जस्टिस वर्मा का नाम सामने आया था। इस दौरान प्रथम सूचना रिपोर्ट यानी एफआईआर में उनका नाम दर्ज किया गया था। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में भी उनका नाम आरोपी के रूप में दर्ज है। 

सीबीआई द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, जस्टिस वर्मा साल 2012 में सिंभावली शुगर्स के गैर-कार्यकारी निदेशक थे। यह मामला ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स द्वारा की गई शिकायत के बाद सामने आया। बैंक ने निजी उद्यम पर बैंक के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था। 

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ओरिएंटल बैंक ने आरोप लगाया कि सिंभावली शुगर्स ने किसानों के लिए निर्धारित 97.85 करोड़ रुपये के ऋण के दुरुपयोग का आरोप लगाया। इस धन का इस्तेमाल अन्य कामों में किया गया।

बैंक द्वारा की गई शिकायत के अनुसार, शुगर मिल ने जाली नो योर कस्टुमर (केवाईसी) दस्तावेज उपलब्ध कराए और धन का गबन किया। ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने इसे 2015 तक सिंभावली शुगर्स को कथित धोखाधड़ी के रूप में चिह्नित किया और भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई को इसकी सूचना दी। 

सीबीआई ने दर्ज कराया था मामला

सीबीआई ने सिंभावली शुगर मिल्स, उसके निदेशकों, यशवंत वर्मा और अन्य लोगों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक कदाचार, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप में मामला दर्ज किया। वहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने 27 फरवरी 2018 को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को सिंभावली शुगर्स को सात बैंकों द्वारा ऋण दिए जाने की नए सिरे से जांच शुरू करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि इस धोखाधड़ी ने न्यायालय की अंतरात्मा को हिलाकर रख दिया है।

उच्च न्यायालय ने कथित तौर पर पाया कि कई बैंक अधिकारियों ने 900 करोड़ रुपये का ऋण देने में सिंभावली चीनी मिल्स के साथ मिलीभगत की। 

अदालत ने उस समय अपने निर्णय में कहा "बैंक अधिकारी ने पूरी तरह से आरबीआई के दिशानिर्देशों और परिपत्रों की पूरी तरह से अनदेखी की। हम सीबीआई को यह जांच करने का आदेश देते हैं कि किन अधिकारियों ने इन ऋणों को मंजूरी दी, बोर्ड या क्रेडिट समिति के किन सदस्यों ने वितरण में मदद की और किन अधिकारियों ने गबन को बिना रोक-टोक जारी रहने दिया। "

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय एजेंसी ने फरवरी 2024 में नई जांच शुरू की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को धोखाधड़ी के लिए कानून के अनुसार कार्रवाई करने की अनुमति दी। सीएनएन न्यूज-18 ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि जस्टिस वर्मा का नाम सीबीआई की रिपोर्ट से जल्द ही हटा लिया गया। 

चर्चा में जस्टिस यशवंत वर्मा

दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा एक बार फिर चर्चा में आए जब लुटियंस दिल्ली स्थित उनके आवास पर आग लगने के बाद कैश मिलने की खबरें आईं। सूचना मिलने पर दिल्ली अग्निशमन विभाग के कर्मी आग बुझाने पहुंचे।  

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ रुपये कैश प्राप्त हुआ। इन दावों ने न्यायपालिका को एक बार फिर से सवालों के घेरे में ला दिया है।

मामला तूल पकड़ने के बाद में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का फैसला लिया। इस कॉलेजियम की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना कर रहे हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.के उपाध्याय ने घटना के प्रकाश में आने के बाद आंतरिक जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। 

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जस्टिस वर्मा का स्थानांतरण एक स्वतंत्र और जांच प्रक्रिया से अलग मामला है। 

एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि न्यायमूर्ति का स्थानांतरण पहला कदम है और प्रारंभिक जांच जारी है। 

हालांकि कैश मिलने के दावों के बीच दिल्ली अग्निशमन विभाग ने चुप्पी साध रखी है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अग्निशमन विभाग के प्रमुख अतुल गर्ग ने दावा किया कि दमकलकर्मियों को जज के निवास से कैश नहीं मिला। हालांकि समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान उन्होंने इन दावों का खंडन किया। 

अग्निशमन विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, आग केवल स्टोर रूम में रखे घरेलू और स्टेशनरी सामान तक ही सीमित थी।

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