मुंबई: वरिष्ठ एनसीपी नेता और समता परिषद के संस्थापक छगन भुजबल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मंत्रिमंडल का हिस्सा बन गए हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को एक समारोह में उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाई।  शपथ ग्रहण समारोह मुख्यमंत्री फडनवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार, मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों और एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल सहित अन्य नेताओं की उपस्थिति में हुआ।

समारोह के बाद भुजबल ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस, दोनों उपमुख्यमंत्रियों के साथ-साथ सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल का भी आभार व्यक्त करता हूं। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी आभार व्यक्त करता हूं। इसके साथ ही मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के सभी लोगों, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों, समता परिषद के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का भी आभार व्यक्त करता हूं। मैं उन सभी का भी आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने अब तक मुझे प्यार और स्नेह दिया है।"

काफी समय से नाराज चल रहे थे छगन

भुजबल को खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग मिलने की उम्मीद है, उन्होंने इससे पहले इस विभाग की जिम्मेदारी उद्धव ठाकरे और फिर एकनाथ शिंदे (2019-24) के नेतृत्व वाली पिछली सरकारों में उठाई थी। भुजबल तब काफी समय से नाराज चल रहे थे। दरअसल, 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री फडणवीस ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था, लेकिन मंत्री पद नहीं दिया था। आहत भुजबल ने पार्टी नेतृत्व के समक्ष अपनी नाराजगी खुले तौर पर जाहिर की थी और कहा था कि पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के ओबीसी मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने के बावजूद उनके बारे में विचार नहीं किया गया।

इसके बाद उन्होंने पार्टी के कई कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी, लेकिन पार्टी अध्यक्ष अजित पवार और कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने संगठनात्मक कार्यों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। इसके अलावा, दो बार राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में उनके नामांकन पर विचार न किए जाने से भी वे नाराज थे।

दमदार ओबीसी चेहरे की जरूरत

एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार ने कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और राज्य इकाई प्रमुख सुनील तटकरे के साथ मिलकर सर्वसम्मति से फैसला लिया और भुजबल को मंत्रिमंडल में शामिल करने का रास्ता साफ किया। एनसीपी को मंत्रिमंडल में एक मजबूत और दमदार ओबीसी चेहरे की जरूरत थी, खासकर तब जब एक अन्य ओबीसी नेता धनंजय मुंडे को मार्च में राज्य विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बीड के सरपंच संतोष देशमुख की नृशंस हत्या के सिलसिले में इस्तीफा देना पड़ा था। मुंडे के पास खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग था और उनके जाने के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इसे संभाला।

भुजबल का शामिल होना एनसीपी के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को चार महीने में स्थानीय और नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। मराठा आरक्षण समर्थक कार्यकर्ता मनोज जरांगे के खिलाफ एक बड़े संघर्ष में ओबीसी आरक्षण की सुरक्षा के लिए वे सबसे आगे रहे हैं। इसके अलावा, भुजबल जाति आधारित जनगणना के प्रबल समर्थक रहे हैं, जिसे केंद्र ने हाल ही में मंजूरी दी है।