नई दिल्लीः शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने जज यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस वर्मा के आवास से इस महीने की शुरुआत में भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित एक न्यायिक पैनल इस मामले की जांच कर रहा है, और एफआईआर दर्ज करने पर कोई निर्णय जांच पूरी होने के बाद ही लिया जाएगा।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, "इन-हाउस जांच जारी है। यदि रिपोर्ट में कोई अनियमितता सामने आती है, तो एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जा सकता है या मामला संसद को भेजा जा सकता है। इस चरण में इस याचिका पर विचार करना उचित नहीं होगा।"

याचिका को बताया समय से पूर्व

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह याचिका समय से पूर्व दायर की गई है, क्योंकि इसमें इन-हाउस जांच को ही चुनौती दी गई थी। यह याचिका वकील मैथ्यूज नेडुमपारा और हेमाली सुरेश कुर्ने द्वारा दायर की गई थी।

याचिका में तर्क दिया गया था कि घटना सामने आने के एक सप्ताह बाद भी न तो कोई गिरफ्तारी हुई और न ही कोई जब्ती की गई। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इन-हाउस पैनल कोई संवैधानिक अथवा कानूनी एजेंसी नहीं है, इसलिए यह विशेष जांच एजेंसियों का विकल्प नहीं हो सकता।

याचिकाकर्ताओं ने केरल में कथित तौर पर एक हाईकोर्ट जज के खिलाफ पॉक्सो का मामला न दर्ज होने की घटना का हवाला देते हुए कहा कि जांच कराना न्यायालय का कार्य नहीं, बल्कि पुलिस का काम है। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "इन-हाउस रिपोर्ट आने के बाद सभी विकल्प खुले हैं। इस समय यह याचिका समय से पूर्व है।"

न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास से हुआ था नकदी बरामद

14 मार्च (होली के दिन), जब दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगी, तो दमकल विभाग के कर्मियों को आउटहाउस के स्टोररूम में जली हुई और अधजली नकदी का एक बड़ा जखीरा मिला। उस समय न्यायाधीश वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे।

हालांकि, यह घटना एक सप्ताह बाद सार्वजनिक हुई। इसके बाद, इस सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की सिफारिश की। साथ ही, उनसे सभी न्यायिक कार्य वापस ले लिए गए।

स्थानांतरण पर विवाद और वकीलों का विरोध

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के इस स्थानांतरण के खिलाफ इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने आपत्ति जताई और अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। बार एसोसिएशन का कहना था कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे न्यायाधीशों को बर्दाश्त नहीं करेगा।

हालांकि, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना से मुलाकात के बाद बार एसोसिएशन ने अपनी हड़ताल पर पुनर्विचार करने का आश्वासन दिया। सीजेआई ने बार एसोसिएशन को आश्वासन दिया कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के स्थानांतरण को लेकर उनकी मांग पर विचार किया जाएगा।